शिव सूत्र विमर्श / Shiva Sutra Vimarsha PDF Hindi Download

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Author
Shri Jankinath Ji
Size
33.11 MB
Pages
108
Language
Hindi

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Name : शिव सूत्र विमर्श / Shiva Sutra Vimarsha PDF Hindi Download
Author : Invalid post terms ID.
Size : 33.11 MB
Pages : 108
Category : Religious & Sprituality
Language : Hindi
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Summary of book शिव सूत्र विमर्श / Shiva Sutra Vimarsha PDF Hindi Download

आशीर्वाद के दो शब्द

प्राचीन शिवसूत्रों पर आज सम्भवतः प्रथम बार जनता के हितार्थ, यह अनुपम हिन्दी व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है। शिव सूत्रों की यह व्याख्या श्रीजानकीनाथ जी कील ने बड़े परिश्रम से की है। उन्होंने इन सूत्रों का तात्पर्यार्थ पहले मेरे से प्राप्त किया था।
काश्मीर का त्रिक-शास्त्र सम्प्रदाय चार शाखाओं में विभक्त हुआ है – १. प्रत्यभिज्ञा- शाखा, २. कुल-शाखा, ३. स्पन्द-शाखा, और ४. क्रम शाखा । शिव सूत्रों का रहस्यार्थ त्रिकशास्त्र की स्पन्द-शाखा पर ही आधारित है, जिसका प्रादुर्भाव प्राचीन गुरु श्रीवसुगुप्ताचार्य द्वारा हुआ। यह कहना अप्रासंगिक न होगा कि स्पन्द-शाखा उपाय- मण्डल के तीन उपायों में से शाक्तोपाय के सम्प्रदाय में ही निहित है। यद्यपि शिव-सूत्र शाम्भवोपाय, शाक्तोपाय और आणवोपाय के आधार पर ही क्रम से तीन विकासों में बांटे गये हैं तथापि साधकजन के उपयोग की सम्भावना शाक्तोपाय पर ही निर्भर है। कारण यह है कि शाम्भवोपाय केवल उच्च कोटि के साधक के लिए है जो अपने शिवत्व का चिन्तन करते करते परम शिवभाव को प्राप्त करता है और आणवोपाय के अनुसार भक्त साधना, अनुशासन तथा शास्त्रीयविधि द्वारा ही आत्मसाक्षात्कार की ओर आगे बढ़ता है, जबकि शाक्तोपाय में साधक भक्त अपनी आन्तरिक वृत्तियों का मन्त्र शक्ति द्वारा ही दमन करके समावेश का लाभ प्राप्त करता है जो सर्वसाधारण साधक के लिए अन्य दो उपायों की अपेक्षा सुलभ है। अतः स्पन्द-शाखा शाक्तोपाय के अन्तर्गत ही मानी गयी है। शास्त्र की आज्ञा है कि शाक्तोपाय से ही मन्त्र नियोजन होना चाहिए, यथा-
‘नं पुंसि न परे तत्त्वे शक्तो मन्त्रं नियोजयेत् ।
पुंस्तवे जडतामेति परतत्वे तु निष्फलः ।।’
इस व्याख्या में शिवसूत्रों के अर्थ प्राचीन शैवाचार्यों के अनुभव के आधार पर

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