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Name : | चन्द्रगुप्त मौर्य PDF / Chandragupta Maurya Natak PDF Download |
Author : | Invalid post terms ID. |
Size : | 7 MB |
Pages : | 246 |
Category : | Drama, History |
Language : | Hindi |
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चन्द्रगुप्त मौर्य नाटक PDF Download Free
Summary of book चन्द्रगुप्त मौर्य PDF / Chandragupta Maurya Natak PDF Download
चन्द्रगुप्त मौर्य – ( ऐतिहासिक नाटक )
भूमिका
उस काल वाराणसी, पाटलिपुत्र और तक्षशिला में प्रसिद्ध विश्व- विद्यालय थे। तक्षशिलावाले की विशेष प्रसिद्धि थी। चंद्रगुप्त के पठन-काल में वहाँ १०३ राजपुत्र पढ़ते थे। अलेक्जेंडर ( अलिकसुंदर, सिकंदर ) मैसिडान का शासक था। उसका हमारा वर्णन ऐतिहासिक है। चंद्र- गुप्त को उससे भेंट हुई थी, और वह इनसे अप्रसन्न होकर इन्हें बंदी बनाना चाहता था, किंतु यह निकल आए। चंद्रगुप्त के तीन रानियाँ पुराणानुसार थीं, अर्थात् पोरस पुत्री दुर्धरा, धननंद-कन्या तथा सेल्यूकस तनया हेलेन । सुनंदा नाम भर कल्पित है। उसका अविवाहिता रहना इतिहास – विरुद्ध तथा काल्पनिक है। चंद्रगुप्त की जीतें ऐतिहासिक हैं। उनका यवनों के यहाँ विद्या-लाभ करना न्यूनाधिक ऐतिहासिक है। वहाँ वह थोड़े ही दिन रहे। सवलनंद तथा धननंद के पुत्रवाले कथन कल्पित हैं। पर टेढ़े होने से विष्णु- गुप्त चाणक्य कौटिल्य कहलाते थे। इनका राजा पर्वतक से मेल था । इन्हें भूमि कोष मिला था। कौटिल्य-कृत अर्थ-शास्त्र-ग्रंथ अब तक बड़ा मान्य समझा जाता है। पाणिनि वर्ष उपवर्ष और पिंगल ऐतिहासिक पुरुष हैं। पाटलिपुत्र में शास्त्रार्थ हुआ करते थे, जिनमें वर्ष, पाणिनि, कात्मा- यन आदि ने समय-समय पर भाग लिए। चंद्रगुप्त के जो सहायक लिखे गए हैं, वे ऐतिहासिक हैं। पाटलिपुत्र, समाचार प्रेरकों, कुस्तियों आदि के जो कवन हुए हैं, वे भी ऐतिहासिक हैं। मेगास्थिनीज चंद्रगुप्त की सभा में सेल्यूकस का राजप्रतिनिधि था। उसने लिखा है कि यूनानियों से विद्रोह करनेवालों का नेता चंद्रगुप्त था। इनके राज्य के जो चार प्रबंधार्थ प्रांत लिखे गए हैं, वे ठीक हैं, तथा सेल्यूकस से प्रांत पाना भी सत्य है। इनकी शरीर- रक्षिकाएँ यवनी सशस्त्र स्त्रियां थीं। इनके मंत्री-परिषत् में १८ मंत्री थे । व्रज चरागाह को कहते थे। जज को धर्मस्थ कहते थे । न्यायालय में राजा, जनपदसंधि, द्रोणमुख, संग्रहण, ग्राम संघ, पंचायत आदि थे। धर्मस्थीय, कटकशोधन, प्रदेष्टा आदि भी न्यायकर्ता थे। गुप्तचरों के काम में घोड़े और कपोतों से भी साहाय्य लिया जाता था। इतिहासानुसार चंद्रगुप्त ने पहले नंदों को गिराया और तब यूनानियों से उनका पंजाब जीता। मुद्रा-
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