[wpdm_package id=’1632′]
इनर इंजीनियरिंग सद्गुरु की नई क्रांतिकारी पुस्तक है, जिसमें वे अपने स्वयं के अनुभवों को आध्यात्मिकता और योग के साथ जोड़ते हैं और इनर इंजीनियरिंग की परिवर्तनकारी अवधारणा का परिचय देते हैं। कई वर्षों में उनके द्वारा समर्पित, यह शक्तिशाली अभ्यास मन और शरीर को चारों ओर ऊर्जा के साथ संरेखित करने का कार्य करता है, जिससे असीम शक्ति और संभावनाओं की दुनिया का निर्माण होता है।
एक दिन एक आदमी शंकरन पिल्लई की दवा की दुकान की तरफ़ जा रहा था कि उसे दुकान के बाहर लैंप पोस्ट से लिपटा एक आदमी नजर आया। उसे देखकर वह हैरान रह गया। जब वह दुकान के अंदर गया तो उसने शंकरन से पूछा, ‘वह आदमी कौन है? क्या हुआ है उसको?’
शंकरन पिल्लई ने तुरंत जवाब दिया, ‘अरे वह मेरा ही ग्राहक है।’
लेकिन उसको हुआ क्या है?”
‘वह खांसी की कोई दवा माँग रहा था। मैंने दवा दे दी।’
‘आपने उसको क्या दवा दी?’
‘मैंने एक डिब्बा “जुलाब” (पेट साफ़ करने की दवा) दे दिया, और उसे यहीं खा लेने के लिए कहा।’
‘सिर्फ खांसी के लिए जुलाब! आपने उसे जुलाब क्यों दिया?’
‘अब जरा उसे देखो, वह खाँसने की हिम्मत भी नहीं कर सकता!’
अपनी खुशहाली की तलाश करने वाले लोगों को भी आज दुनिया में इसी तरह का जुलाब पिलाया जा रहा है, जिसकी वजह से “गुरु” आज महज दो अक्षरों का एक शब्द बनकर रह गया है।
दुर्भाग्य से, हम इस शब्द का सही अर्थ भूल गए हैं। “गुरु” शब्द का अर्थ है “अंधेरे को दूर करने वाला”। आम धारणा यह है कि गुरु का काम ज्ञान व उपदेश देना या धर्म-परिवर्तन करना होता है। पर ऐसा नहीं है। गुरु का काम आपके लिए उन आयामों को उजागर करना है, जो अभी आपके अनुभव में नहीं हैं, जो आपकी
ज्ञानेंद्रियों के बोध तथा आपके मनोवैज्ञानिक नाटक से परे होते हैं। मुख्य रूप से, गुरु इसलिए होता है ताकि वह आपके अस्तित्व की प्रकृति से आपका परिचय करा सके।
आजकल बहुत ही ग़लत और खतरनाक ढंग से बहकाने वाली शिक्षाएँ दी जा रही हैं। इन्हीं में से एक – “इस पल में रहना । ऐसी शिक्षा देने के पीछे धारणा यह है।
Thank you