समय का संक्षिप्त इतिहास / Samay Ka Sankshipt Itihas by Stephen Hawking Download Free PDF

TELEGRAM
0/5 No votes

Report this Book

Description

[wpdm_package id=’2203′]

स्टीफेन हॉकिंग की यह पुस्तक विज्ञान-लेखन की दुनिया में अपनी लोकप्रियता के कारण अतिविशिष्ट स्थान रखती है। वर्ष 1988 में अपने प्रकाशन के मात्र दस वर्षों की अवधि में इस पुस्तक की 10 लाख से ज़्यादा प्रतियाँ बिकीं और आज भी जिज्ञासा की दुनिया में यह पुस्तक बदस्तूर अपनी जगह बनाए हुए है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति किस प्रकार हुई, यह कहाँ से आया और क्या यह शाश्वत है या किसी ने बाकायदा इसकी रचना की है? बुद्धिचालित मनुष्य का उद्भव एक सांयोगिक घटना है या फिर मनुष्य के लिए ब्रह्मांड की रचना की गई, ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो सदा से हमें विचलित-उत्कंठित करते रहे हैं। यह पुस्तक इन सवालों का उत्तर देने का प्रयास करती है। इसमें आरम्भिक भू-केन्द्रिक ब्रह्मांडिकियों से लेकर बाद की सूर्य-केन्द्रिक ब्रह्मांडिकियों से होते हुए एक अनन्त ब्रह्मांड अथवा अनन्त रूप से विस्तृत अनेक ब्रह्मांडों तथा कृमि-छिद्रों की परिकल्पनाओं तक की हमारी विकास-यात्रा का संक्षिप्त और सरलतम वर्णन किया गया है।
इस संस्करण में पिछले दशक में ब्रह्मांडिकी के क्षेत्र में हासिल की गई नई सूचनाओं और नतीजों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। लेखक ने इसके प्रत्येक अध्याय को पूर्णतया परिवर्द्धित करते हुए इस संस्करण में प्राक्कथन के साथ-साथ वर्म होल और काल-यात्रा पर एक नितान्त नवीन अध्याय भी सम्मिलित किया है।

ब्रह्माण्ड सम्बन्धी हमारी तस्वीर एक सुविख्यात वैज्ञानिक ने कुछ लोगों का कहना है कि वह बट्टेड रसेल थे। एक बार खगोल विज्ञान पर एक सार्वजनिक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में घूमती है तथा उसी क्रम में, किस प्रकार सूर्य एक विशाल तारा समूह; जिसे हमारी आकाश गंगा कहा जाता है, के केन्द्र की परिक्रमा करता है। व्याख्यान की समाप्ति पर, एक छोटे कद की वृद्ध महिला कक्ष में पीछे से उठी और बोली, “आपने जो कुछ भी हमें बताया है सब बकवास है। विश्व वास्तव में एक विशालकाय कछुए की पीठ पर टिकी हुई समतल तश्तरी है।” उत्तर देने से पूर्व वह वैज्ञानिक विशिष्ट अन्दाज से मुस्कुराए, फिर बोले, “कछुआ किस चीज पर खड़ा है?” “तुम बहुत समझदार हो नवयुवक, बहुत ही समझदार,” वह वृद्ध महिला बोली, “परन्तु नीचे तक हे कछुए ही!”
अधिकांश लोग कछुओं की असीम मीनार के रूप में हमारे ब्रह्माण्ड की इस तस्वीर को जरा हास्यास्पद पाएंगे, परन्तु हम ये क्यों सोचते हैं कि हम ही बेहतर जानते हैं? हम ब्रह्माण्ड के बारे में क्या जानते हैं और इसे कैसे जानते हैं? ब्रह्माण्ड कहाँ से आया और ये कहाँ जा रहा है? क्या ब्रह्माण्ड का आदि था, और यदि ऐसा था तो उससे पहले क्या घटित हुआ? काल की प्रकृति क्या है? क्या इसका कभी अन्त होगा? अद्भुत नवीन तकनीकों द्वारा क्रमबद्ध रूप से सम्भव बनाई गईं भौतिक विज्ञान की हाल ही की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ इन चिरस्थायी प्रश्नों में से कुछ के सम्भावित उत्तर प्रस्तावित करती हैं। किसी दिन ये उत्तर हमें या तो इतने सुस्पष्ट प्रतीत हो सकते हैं जितनी कि सूर्य की परिक्रमा करती हुई पृथ्वी या फिर इतने उपहासपूर्ण जितनी कि कछुओं की मीनार! केवल समय ही बताएगा (चाहे वह कुछ भी हो)।
लगभग 340 ई.पू., यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने अपनी पुस्तक ‘ऑन दि हैवन्स’ में लोगों के समक्ष यह विश्वास दिलाने के लिए दो अच्छी दलीलें प्रस्तुत की थी कि पृथ्वी एक समतल तश्तरी नहीं बल्कि एक गोल पिण्ड है। सबसे पहले, उन्होंने यह जानकारी हासिल की कि चन्द्रग्रहण पृथ्वी के सूर्य व चन्द्रमा के बीच में आने के….

4 comments on "समय का संक्षिप्त इतिहास / Samay Ka Sankshipt Itihas by Stephen Hawking Download Free PDF"

  1. anubhav sharma says:

    is pustak ka link .zip file download de rha he jo 0kb ki he..

  2. Samrat Gurjar says:

    Link not working

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *