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Description of वेदान्त / Vedant Hindi Book PDF Download
Name | वेदान्त / Vedant Hindi Book PDF Download |
Author | Invalid post terms ID. |
Size | 2.7 MB |
Pages | 190 |
Category | Philosophical, Religious & Sprituality |
Language | Hindi |
Download Link | Working |
मनुष्य को ज्ञात सबसे प्राचीन शास्त्रों में वेद शीर्ष पर आते हैं और वेदान्त वैदिक सार का परम शिखर है। शास्त्रीय रूप से उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता वेदान्त के तीन स्तम्भ माने जाते हैं, जिनको प्रस्थानत्रयी भी कहा जाता है। वेदान्त के सूत्र मात्र दार्शनिक चिन्तन का विषय नहीं हैं, वे हमारे जीवन की बात करते हैं। चाहे हमारी व्यक्तिगत परेशानियाॅं हों या वैश्विक समस्याऍं, वेदान्त हमें व्यक्ति और संसार के सच से परिचित करवाता है और उसका समाधान भी देता है। शताब्दियों से मनुष्य अनेक छोटे बड़े प्रश्नों को सुलझाने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन उनमें केंद्रीय प्रश्न रहा है – ‘मैं कौन हूँ?’ इस मूल प्रश्न का अंतिम समाधान हमें वेदान्त में ही मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति के लिए पूरा जीवन यत्न करता है लेकिन और बंधनों में ही फँसता चला जाता है। वेदान्त की शिक्षा हमें बताती है कि हमारा मूल बंधन क्या है और उससे मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। सिर्फ़ भारत ही नहीं, विश्व के अनेक संतों, विचारकों, कवियों, वैज्ञानिकों ने वेदान्त की महिमा को सराहा है और उससे प्रेरणा पाई है। भारत ने दुनिया को जो अमूल्य उपहार दिया है वो आत्मा है, और यह वेदान्त की ही देन है। आचार्य प्रशांत ने ‘वेदान्त’ में जीवन के गूढ़ रहस्य और उनसे जुडी हुई भ्रांतियों पर सरल शब्दों में विस्तृत व्याख्या की है।
Summary of book वेदान्त / Vedant Hindi Book PDF Download
उपनिषद् क्या हैं?
ज्ञान की एक पूरी श्रृंखला हैं वेद, और उनके केंद्र में ज्ञान मात्र है। किसी एक व्यक्ति द्वारा लिखी गयी वो किताब नहीं है। किसी एक इंसान या इंसानों के एक समूह, या दल, या समुदाय या सम्प्रदाय का वो प्रतिनिधित्व नहीं करती। किसी एक व्यक्ति का नाम उससे जोड़ा नहीं जा सकता। व्यक्ति आए, चले गए। इतने ऋषि उसमें वर्णित हैं, उनमें से कोई ऋषि हो न हो एक ऋषि, सहस्त्रों ऋषि – वेदों का किसी व्यक्ति विशेष से कोई संबंध नहीं। तो ज्ञान की एक पूरी परंपरा है, ज्ञान की पूजा करते हैं। इसीलिए एक बड़े लंबे, विस्तृत कालखंड में पसरे हुए हैं वेद। एक दिन या दस दिन या सौ वर्षों में भी नहीं लिख दिए गए थे वेद। उनकी हज़ारों वर्षों की यात्रा है और चूँकि उनका संबंध ज्ञान से, बोध से है, व्यक्तियों से नहीं, इसीलिए उनको अपौरुषेय भी कहते हैं। कि किसी मनुष्य की कृति मत मान लेना इनको। मनुष्य मात्र की या मनुष्य विशेष की भी संपदा मत मान लेना इनको।
तो हम कह रहे थे वेदों की एक पूरी यात्रा है, इस यात्रा में बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन वो यात्रा है निरंतर ऊर्ध्वगामी ही। वो नीचे से चलती है और एकदम ऊपर तक जाती है, ज्ञान का काम ही यही है।
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