माइंड मैनेजमेंट / Mind Management Hindi Book PDF Download Free in this Post from Google Drive Link and Telegram Link ,
All PDF Books Download Free and Read Online, माइंड मैनेजमेंट / Mind Management Hindi Book PDF Download PDF , माइंड मैनेजमेंट / Mind Management Hindi Book PDF Download Summary & Review. You can also Download such more Books Free - Hindi PDF Books DownloadSelf Help PDF Books Download in HindiDescription of माइंड मैनेजमेंट / Mind Management Hindi Book PDF Download
Name : | माइंड मैनेजमेंट / Mind Management Hindi Book PDF Download |
Author : | Invalid post terms ID. |
Size : | 1.3 MB |
Pages : | 90 |
Category : | Self Help Books |
Language : | Hindi |
Download Link: | Working |
Mind Management Hindi Book PDF Download आनन्दमूर्ति गुरुमाँ संपूर्णता की परिभाषा हैं। स्वयं प्रेम; करुणा; आनंद और दयालुता का प्रत्यक्षीकरण होने के साथ-साथ आधुनिक दृष्टिकोण से सुसज्जित आपके ज्ञानपूर्ण प्रवचन हर जिज्ञासु के लिए अध्यात्म के नवीन मार्ग खोल देते हैं। आपकी ओजपूर्ण आभा के परिणामस्वरूप सहज ही आंतरिक शांति व आत्मानुभूति का वातावरण तैयार हो जाता है। आपका प्रेमभरा व्यक्तित्व व आपके द्वारा दिए गए जीवन को सुंदरतम ढंग से जीने के सूत्र; हर मानव को प्रेम व अध्यात्म की ज्ञान ऊर्जा से आपूरित कर देते हैं।
Summary of book माइंड मैनेजमेंट / Mind Management Hindi Book PDF Download
मन कहाँ है?
जब आपका मन विश्राम में होता है, जब आपका मन चैन में होता है, तब न केवल आप आंतरिक सुख और आनंद का अनुभव करते हैं, बल्कि आपके शरीर को भी विश्राम मिलता है। जब शरीर विश्राम में रहता है तो शरीर स्वस्थ रहता है। और जब शरीर स्वस्थ रहे, मन विश्राम में रहे तो जीवन जीने का आनंद होता है।
जीवन के कीमती पलों को हम या तो फिक्रों में, चिंताओं में बरबाद कर सकते हैं या इस प्रकार से जी सकते हैं कि हम अंतर में बेफिक्र हैं और जीवन में जो भी परिस्थितियाँ हमारे सामने आती हैं, उन परिस्थितियों से निपटते हैं, उन परिस्थितियों का सामना करते हैं। लेकिन जब आप परिस्थिति का सामना न करके सि़र्फ परिस्थिति के बारे में सोचते रहते हैं, तो इस व्यर्थ की सोच में आपकी ऊर्जा नष्ट होती है। आपका सुख-चैन तो जाता ही है, पर सबसे बड़ा नु़कसान होता है आपके स्वास्थ्य का। काश! आप समझ पाते कि आपका स्वास्थ्य आपके हाथ में है।
मैं जानती हूँ कि आजकल चिकित्सा विज्ञान आनुवंशिक (genetic) बीमारियाँ, जो तुम्हें अपने पूर्वज या माता-पिता से मिली हैं, उसके बारे में बात कर रहा है, लेकिन मेरा यह मानना है कि मन से शरीर हुआ है। आपके शरीर की उत्पत्ति और आपके शरीर का आकार एवं रूप आपके मन की वजह से बना है। ऐसा नहीं है कि शरीर पहले बना और फिर मन उसमें आया। जैसे, पहले मिट्टी का एक बरतन बनाया, फिर उसमें हमने पानी भर दिया, ऐसा नहीं है। तो कई बार बहुत लोग ऐसा सोचते हैं, समझते हैं कि शरीर को ईश्वर ने, प्रकृति ने बनाया, फिर उसमें मन आया। नहीं, ऐसा नहीं है। कई लोगों का ऐसा मानना है कि शरीर में से मन निकला है, पर ऐसा संभव नहीं।
बात थोड़ी सी टेक्निकल हो रही है, पर कोई बात नहीं; क्योंकि आपको इसे भी समझना चाहिए कि आपका शरीर क्या है? आपका मन क्या है?
आप कार खरीदने जाते हैं तो दस शो-रूम में जाते हैं, इंटरनेट पर सर्फिंग करते हैं, दस लोगों से राय लेते हैं कि कौन सी गाड़ी अच्छी है? किस का इंजन अच्छा है? किसकी एयरकंडिशनिंग अच्छी है? अगर आप युवा हैं तो आपको सबसे ज़्यादा इस बात की फिक्र होगी कि गाड़ी दिखने में कैसी है और अगर आप थोड़ा पौरुष दिखाना चाहते हैं तो फिर आपका दूसरा सवाल होगा कि इंजन का पावर कितना है? आप कहेंगे कि गाड़ी के आकार को मारो गोली, इंजन का पावर बताइए कि हाई-वे पर यह कितना तेज़ दौड़ेगी?
देखिए, यह भी उम्र का तकाज़ा होता है और आपकी रुचि बदलती रहती है। जवानी में पूछता रहता है कि ‘इंजन की स्पीड कितनी है?’ और यही जब बूढ़ा हो जाएगा तब पूछेगा, ‘सीट-बेल्ट ठीक से बंद होती है न? कहीं ज़ोर से ब्रेक लगे और मैं गिर न जाऊँ!’ शरीर की चिंता हो जाती है। बूढ़ी हड्डियाँ हैं, टूटनेवाले जोड़ हो जाते हैं और अब उसकी फिक्र तेज़ दौड़नेवाली गाड़ी की नहीं होती। अब उसकी फिक्र होती है कि सस्ती और मज़बूत गाड़ी होनी चाहिए। खुदा न खास्ता, अगर कोई दुर्घटना हो तो मैं अंदर बैठा सलामत रहूँ। आप कार खरीदते हैं तो इतना सोचते हैं।
मुझे आप लोगों को शॉपिंग करते हुए देखने में बड़ा मज़ा आता है, खासकर जब आप कपड़े की खरीददारी करते हैं। घंटों तक लगे रहते हैं। आप घर में भी इसी चीज़ पर कई घंटे लगाकर आए होते हैं, फैशन संबंधित पत्रिकाएँ और सब तरह के अन्य माध्यमों से आप जानकारी लेते हैं। यह अच्छा है, यह कट अच्छा है, यह स्टाइल अच्छा है। अभी क्या फैशन चल रहा है? कौन सा रंग अच्छा है? ये सब चीज़ें आपको पता होती हैं। फिर भी जब खरीदने जाते हैं, तब भी वहाँ से एक ड्रेस पहनकर देखते हैं। दूसरी उठाते हैं, फिर पहनकर देखते हैं, फिर तीसरी उठाते हैं। एक ड्रेस, जिसकी उम्र कुछ साल होगी; कुछ साल तो मैंने ज़्यादा कह दिया, क्योंकि आपके लिए तो हर मौसम में एक नया फैशन आता है और आप उसके अनुसार नए कपड़े खरीदते हैं। फिर भी छः महीने से लेकर छः साल तक या किसी-किसी के लिए शायद बीस साल तक उसकी एक ड्रेस चलने वाली है, उसे खरीदने में इतना दिमाग लगाते हैं। पर जिस शरीर को आपने वह ड्रेस पहनाई है, उस शरीर के बारे में आपकी जानकारी कितनी है?
आप अपने शरीर के बारे में, उसकी कार्यप्रणाली के बारे में, सृजन की प्रक्रिया के बारे में, शरीर में काम कर रही सारी कार्यविधियों के बारे में कितना जानते हैं? लोग कहते हैं कि इतनी फिक्र करने की क्या ज़रूरत है? अभी सबकुछ ठीक चल रहा है, बहुत बढि़या चल रहा है। खराब होगा तो डॉक्टर के पास चले जाएँगे; पर मेरे भाई! बहुत महँगी है आजकल चिकित्सा।
आपको अपने इस शरीर रूपी वाहन, इस शरीर रूपी कार के बारे में ज्ञान होना चाहिए। जिसके ज़रिए आप चल रहे हैं और जीवन की डगर पर अपनी इस गाड़ी को दौड़ा रहे हैं, इस गाड़ी के बारे में तो ज्ञान होना चाहिए।
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