शिक्षा जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है . अच्छी शिक्षा से नए समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है । आज हम बात करेंगे कोचिंग सेंटर्स के किसी भी स्कूल की क्लास में 50 से 60 बच्चे होते हैं जिसमें अध्यापक हर बच्चे को समय का ध्यान नहीं दे पाते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए और बच्चों को अच्छी पढ़ाई और शिक्षा देने के लिए हम कोचिंग का उपयोग करते हैं। यदि आप कोई कुछ सेंटर खोलना चाहते हैं तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद होगा कोचिंग सेंटर खोलते समय निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:
कोचिंग सेंटर खोलने से पहले हमे स्थान का चुनाव अवश्य करना है। हमे ऐसे जगह चुन्नी चाहिए जहां विद्यार्थी आराम से आ सके, ट्रांसपोर्ट की पूर्ण सुविधा हो, और साथ ही जगह ऐसी जगह हो जहां सब लोग कोचिंग को देख सके इससे विज्ञापन भी होता है और सुरक्षा का, पार्किंग इत्यादि इन सभी चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
कोचिंग मे विद्यार्थियों के बैठने का पूर्ण इंतजाम होना चाहिए । रोशनी , हवा का भी पूर्ण ध्यान रखे । कुर्सी मेज भी ऐसी हो जिस पर बैठ कर विद्यार्थी सहज महसूस कर सके।
कोचिंग का पूर्ण रजिस्ट्रेशन भी अतिआवश्यक है ,ताकि आप कभी किसी कानूनी विवाद में ना फसे क्युकी इससे बच्चो की पढ़ाई और कोचिंग के नाम पर सीधा असर पड़ता है।
किसी भी कोचिंग की पहचान उसके स्टाफ अर्थात अध्यापकों से होती है। हमेशा परिपक्व अध्यापक रखे। अध्यापकों के व्यवहार की ओर भी नजर रखें। यदि अध्यापक अच्छे होंगे तो परीक्षाओं के प्रणाम भी अच्छे होंगे।
कोचीन में अध्यन सामग्री भी जरूर उपलब्ध करवाएं नोट टेस्ट पेपर या हम एक छोटी सी लाइन देरी भी खोल सकते हैं जिसमें गरीब बच्चे या जो बच्चे बहुत ज्यादा पुस्तकें नहीं खरीद सकते हैं। वह वहां बैठ के पढ़ सके ऐसा करने से आपका कोचिंग सेंटर आप अधिक नाम काम आएगा और ज्यादा से जादा विद्यार्थी आपके साथ जुड़ना चाहेंगे।
कोचिंग का शुल्क कैसे निर्धारित करें ताकि गरीब और अमीर हर वर्ग के बच्चे वहां पर पड़ने आशा क्या आप चाहें तो वहां पर कुछ स्कॉलरशिप टेस्ट भी करवा सकते हैं जिसके माध्यम से आप विद्यार्थियों को शुल्क में छूट प्रदान कर सकते हैं।
किसी भी कोचिंग के लिए उसका विज्ञापन भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोचिंग विज्ञापन आप समाचार पत्र , रेडियो इत्यादि के द्वारा कर सकते है।
आप विद्यार्थियों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए ऑनलाइन क्लासेस को भी जोड़ सकतें है जिसमे आपसे आपके शहर के अलावा भी अन्य शहरों के बच्चे भी जुड़ सकते है। कोविद महामारी के बाद ऑनलाइन क्लासेस का चलन काफी मात्रा में बढ़ गया है। ऑनलाइन क्लासेस में आप विद्यार्थियों को e बुक्स, डिजिटल नोट्स प्रदान कर सकते है।
अगर आपके पास उच्च श्रेणी के अध्यापक है तो आपके काचिंग में अधिक संख्या में स्टूडेंट्स आएगा और इससे आपकी कमाई भी बढ़ेगी।
फिर भी यदि अनुमान लगाया जाए तो, आप इसे हर महीने 20000 से 40000 आसानी से कमा सकते है, लेकिन कभी भी सिर्फ पैसे कमाने से पहले अच्छी शिक्षा प्रदान करने के बारे में सोचे । क्योंकि, कोई भी कोचिंग सेंटर जीरो से ही शुरू होती है और समय के साथ बड़ा बनती जाती है।
इसलिए धर्य रखे और कोचिंग सेंटर के प्रचार व प्रसार हेतु कड़ी मेहनत करते रहिए।
कोचिंग में स्कूल की तरह पैरेंट्स टीचर मीटिंग जरूर करवाएं, नियमित रूप पर टेस्ट भी करवाए किसी विद्यार्थियों के प्रदर्शन का पता रहें। पैरेंट्स टीचर मीटिंग मैं उनके अभिवावको के साथ भी रूबरू होना अति आवश्यक है इससे अभिवाववाक भी बच्चो पर पूर्ण ध्यान देते है। यह आपके कोचिंग के विज्ञापन में भी मदद करेगा । इसी हम मध्यम दिमाग वाले बच्चो पर ध्यान देकर उनके भविष्य को भी उज्ज्वल बना सकते है।
आप चाहे तो बच्चो को घर से ले जाने की भी सुविधा प्रदान करवा सकते है।
सही मार्गदर्शन कोचिंग संस्थान कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिन्हें बोर्ड परीक्षा, प्रतियोगी परीक्षा, प्रवेश परीक्षा आदि की तैयारी करने की आवश्यकता होती है। कोचिंग में छात्रों को न केवल मार्गदर्शन मिलता है बल्कि वे अपने करियर के बारे में भी जान सकते हैं और अपने जीवन में सही लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं।
कोचिंग एक छात्र को उच्चतम अंक भी बना सकती है। स्कूल में मार्गदर्शन का कोई उचित रखरखाव नहीं है जिसकी छात्रों को आवश्यकता होती है। विशेष ध्यान छात्रों को स्कूल से बेहतर कोचिंग संस्थानों में विशेष ध्यान मिलता है। कोचिंग में, कोचिंग शिक्षक छात्रों की आवश्यकता के अनुसार सीखने और विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
स्कूल में शिक्षकों को प्रति कक्षा 30 से 40 छात्रों को संभालना होता है और साथ ही पाठ्यक्रम को पूरा करना होता है। इसलिए शिक्षक छात्रों के बीच ध्यान देने में विफल रहते हैं। सीखने का नया तरीका और तकनीक का इस्तेमाल कोचिंग संस्थान विभिन्न प्रकार के छात्रों के लिए अलग-अलग सीखने की तकनीक विकसित करते हैं जो विषयों में उनकी समझ को सक्षम बनाता है।
वे प्रत्येक छात्र का विश्लेषण करते हैं और वे उनकी अवधारणाओं को कैसे समझते हैं। इसलिए, जब कोई छात्र इसे अपने तरीके से सीखता है तो वे इसे बेहतर ढंग से समझते हैं और बेहतर परिणाम दिखा सकते हैं। लेकिन स्कूल में सभी छात्र एक ही विधि सीखते हैं और एक ही अवधारणा सीखते हैं।
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