पापामैन | Papaman Hindi Book PDF Download

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4.5/5 Votes: 395
Author
Nikhil Sachan
Size
2.4 MB
Pages
198
Language
Hindi

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Description

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Description of पापामैन | Papaman Hindi Book PDF Download

Name  पापामैन | Papaman Hindi Book PDF Download
Author 
Category  Novels
Language  Hindi
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‘पापामैन’ निखिल सचान की चौथी किताब है, जिसकी कहानी ल में लोगों को इतनी पसंद आई कि किताब की रिलीज़ के पहले से ही इस कहानी पर फ़िल्म बनाने का काम शुरू हो चुका है। कहानी छुटकी और उसके पापामैन चंद्रप्रकाश गुप्ता की है, जो रेलवे में टिकट बनाते हैं। छुटकी IIT कानपुर में पढ़ती है, इनोवेटर है और आगे की पढ़ाई के लिए MIT, USA जाना चाहती है। वह बचपन से ही अतरंगी सपने देखती थी। उसे कभी एस्ट्रोनॉट बनना होता था, तो कभी
br>मिस इंडिया तो कभी इंदिरा गाँधी। सब कुछ तो बन नहीं सकती थी, लेकिन चंद्रप्रकाश ने उसके सपनों को कभी बचकाना नहीं कहा। उन्होंने छुटकी को यह कभी नहीं बताया कि एक सपना ख़ुद चंद्रप्रकाश ने भी देखा था- बंबई जाकर सिंगर बनने का सपना, जिसे वह अपनी बेटी छुटकी के सपनों को पूरा करने की ज़िद में छिपा गए। चंद्रप्रकाश ने न जाने कितने लोगों को टिकट बनाकर रेल से अनके गंतव्य तक भेजा लेकिन अपने सपनों के शहर बंबई का टिकट कभी ख़ुद नहीं काट पाए। यह कहानी उन्हीं भूले-बिसरे सपनों को पूरा करने की कहानी है। यह कहानी एक पिता की है, एक पापामैन की है, जो अंदर से कोमल-सी माँ ही होते हैं, लेकिन पिता होने की ज़िम्मेदारी के चलते यह बात अपने बच्चों से छिपा जाते हैं। कहानी में कानपुर की ख़ालिस भौकाली है, कटियाबाजी और बकैती है, पिंटू और छुटकी की लवस्टोरी भी है। पिंटू it I में पढ़ता है लेकिन IIT में पढ़ने वाली छुटकी से प्यार कर बैठा है। उसका दोस्त अन्नू अवस्थी उसे कानपुर का रणवीर सिंह बताता है और अपने पिंटू भैया की लवस्टोरी को सफल मक़ाम तक पहुँचाना चाहता है।.

 

Summary of book पापामैन | Papaman Hindi Book PDF Download


ऐ मेरे हमनशीं
मुझे मालूम है कि तुमने कई सपने देखे हैं। कुछ बचपन में, कुछ जवानी में और शायद कुछ बुढ़ापे में। सपने, जिन्हें तुमने दुनिया वालों की नज़र से छुपाकर रखा है।
वो कहते हैं न- “दुनिया का सबसे पुराना रोग कि क्या कहेंगे लोग?” मैं जानता हूँ कि इसी रोग से अपने सपने को बचाने के लिए तुमने उसे अपने डर के संदूक़ में छुपाकर रख दिया था।
मैं चाहता हूँ कि यह किताब पढ़ने के बाद तुम उसी संदूक से अपने एक पुराने सपने को तो निकालो यार। उसे झाड़ो-पोंछो, उसे दुलारो। उसे बच्चे की तरह पुचकार के कहो कि हाँ, मैं तुझे एक दिन ज़रूर पूरा करके रहूँगा।
देखो यार, सपने पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती। लेकिन सपने न पूरा कर पाने के मलाल में एक उम्र भी कम है।
तुम्हें मालूम है, एक ब्रिटिश सरदार, फौजा सिंह जी ने 93 साल की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू किया। सौ साल की उम्र में वह मैराथन दौड़ने वाले पहले इंसान बने। धीरे-धीरे ही सही लेकिन वह दौड़ते तो हैं।
अगर कोई उनसे पूछे कि आप तो किसी से आगे भी नहीं निकल पाते, फ़र्स्ट भी नहीं आते, तो फिर इस बुढ़ापे में दौड़ने का क्या फ़ायदा? तो जानते हो, वह क्या कहेंगे? वह कहेंगे कि बस जी मैं किसी और से नहीं, अपनी उम्र से आगे-आगे दौड़ता हूँ, यही मेरा सुख है।
कितनी कमाल बात है न!
एक और महिला हैं, हरभजन कौर। उन्होंने 94 साल की उम्र में बेसन की बर्फी बनाने का काम शुरू किया क्योंकि उनको ज़िंदगीभर बस यह मलाल था कि उन्होंने अपने दम पर एक पैसा भी नहीं कमाया। कोई भी कहेगा कि वह दस-पाँच रुपये कमाकर क्या ही कर लेंगी? लेकिन बात यह नहीं है। शायद उन्हें यह समझ में आ गया था कि आदमी की जब अर्थी उठे तो उस पर बस उसका शरीर जाना चाहिए, पछतावा और मलाल नहीं।
पछतावे का वज़न इंसान के शरीर के वज़न से सौ गुना भारी होता है, जो चार लोगों के कंधे पर अर्थी में भी नहीं उठता।

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Q. Who is the author of the book पापामैन | Papaman Hindi Book PDF Download?
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