श्रीमद्भगवद्गीता भाग – 2 / Shrimadbhagavadgita Bhag -2 Hindi Book PDF Download Free in this Post from Google Drive Link and Telegram Link ,
Description of श्रीमद्भगवद्गीता भाग – 2 / Shrimadbhagavadgita Bhag -2 Hindi Book PDF Download
Name | श्रीमद्भगवद्गीता भाग – 2 / Shrimadbhagavadgita Bhag -2 Hindi Book PDF Download |
Author | Invalid post terms ID. |
Size | 2.7 MB |
Pages | 279 |
Category | Inspiration, Religious & Sprituality, Self Help Books |
Language | Hindi |
Download Link | Working |
श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान कोई शब्दिक चर्चा या सैद्धांतिक ज्ञान नहीं बल्कि रणक्षेत्र में खड़े एक योद्धा के लिए कहे गए शब्द हैं। भगवद्गीता का जन्म किसी शान्त, मनोरम जंगल में नहीं, बल्कि कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। अर्जुन के सामने एक तरफ धर्म था तो दूसरी तरफ नात-रिश्तेदार और गुरुजनों का मोह। बड़ा कठिन था अर्जुन के लिए निर्णय लेना। अर्जुन कोई जीवन से विरक्त शिष्य नहीं था, जो संसार का मोह त्यागकर कृष्ण के पास आया हो। वह युद्ध के मैदान में खड़ा था। उसे निर्णय करना था कि युद्ध करे कि ना करे। अर्जुन ने धर्म नहीं बल्कि मोह और स्वार्थ चुना था। कृष्ण के समक्ष एक ऐसा हठी शिष्य था जो सुनने को राजी नहीं था क्योंकि अर्जुन का भी मन एक साधारण मन ही था, अपनों पर बाण चलाना उसके लिए आसान नहीं था। श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारह अध्याय कृष्ण द्वारा हठी अर्जुन को मनाने का प्रयास हैं। हमारी भी स्थिति अर्जुन से अलग नहीं है। हमारे भी जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जहाँ निर्णय लेना आसान नहीं होता। यदि हमें कृष्ण का साथ नहीं मिला तो जीवन के कुरुक्षेत्र में हम हार ही जाएँगे क्योंकि कृष्ण के बिना जीत अंसभव है। आचार्य प्रशांत की यह पुस्तक ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ आपके लिए इसीलिए प्रकाशित की गई है ताकि आप अपने जीवन में कृष्ण का संग पा सकें।
Summary of book श्रीमद्भगवद्गीता भाग – 2 / Shrimadbhagavadgita Bhag -2 Hindi Book PDF Download
वास्तव में जगना तब हुआ जब कृष्ण दिखने लगें
या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी । यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः ।। २.६९ ।।
जो सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मसंयमी के जागने का समय है और जो समस्त जीवों के जागने का समय है, वह आत्मनिरीक्षक मुनि के लिए रात्रि है।
प्रश्नकर्ताः जब मुनि जागता है, तब संसार सोता है और जब संसार जागता है, तब मुनि सोता है। इसका अर्थ मुझे गहराई से समझ नहीं आ रहा।
आचार्य प्रशांत: जिसको आप जगना और सोना कहते हो, वो दोनों ही एक प्रकार का सोना है। एक अंधेरा वह है जो तब छाता है, जब हम आँख बंद कर लेते हैं, आँख बंद कर लेते हो तो अंधेरा-ही-अंधेरा है और दूसरा अंधेरा वह है जो तब छाता है, जब हम आँख खोल लेते हैं, भले बाहर सौ सूर्यों का प्रकाश हो। आदमी भेद तो करता है पर गलत जगह भेद कर लेता है।
आदमी कहता है – सोए हम तब हैं, जब आँख बंद है और जगे हम तब हैं, जब ………
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