सोमनाथ / Somnath Hindi Book PDF Download

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Description of सोमनाथ / Somnath Hindi Book PDF Download

Name सोमनाथ / Somnath Hindi Book PDF Download
Author Invalid post terms ID.
Size 4.9 MB
Pages 456
Category History, Novels
Language Hindi
Download Link Working


सोमनाथ हिन्दी साहित्य के कालजयी उपन्यासों में से है। बहुत कम ऐतिहासिक उपन्यास इतने रोचक और लोकप्रिय हुए हैं। इसके पीछे आचार्य चतुरसेन की वर्षों की साधना, गहन अध्ययन और सबसे बढ़कर उनकी लाजवाब लेखन-शैली है।
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदि-मंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।
‘सोमनाथ’ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिर-फिर उठता है और करता है-एक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।

 

Summary of book सोमनाथ / Somnath Hindi Book PDF Download


सौराष्ट्र के नैऋत्य कोण में समुद्र के तट पर वेरावल नाम का एक छोटा-सा बन्दरगाह और आखात है। वहां की भूमि अत्यन्त उपजाऊ और गुंजान है। वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य भी अपूर्व है। मीलों तक विस्तीर्ण सुनहरी रेत पर क्रीड़ा करती रत्नाकर की उज्ज्वल फेनराशि हर पूर्णिमा को ज्वार पर अकथ शोभा विस्तार करती है। आखात के दक्षिणी भाग की भूमि कुछ दूर तक समुद्र में धँस गई है, उसी पर प्रभास पट्टन की अति प्राचीन नगरी बसी है। यहाँ एक विशाल दुर्ग है, जिसके भीतर लगभग दो मील विस्तार का मैदान है। दुर्ग का निर्माण सन्धि-रहित भीमकाय शिलाखण्डों से हुआ है। दुर्ग के चारों ओर लगभग 25 फुट चौड़ी और इतनी ही गहरी खाई है, जिसे चाहे जब समुद्र के जल से लबालब भरा जा सकता है। दुर्ग में बड़े-बड़े विशाल फाटक और अनगिनत बुर्ज़ हैं। दुर्ग के बाहर मीलों तक प्राचीन नगर के ध्वंसावशेष बिखरे पड़े हैं। टूटे-फूटे प्राचीन प्रासादों के खंडहर, अनगिनत टूटी-फूटी मूर्तियाँ, उस भूमि पर किसी असह्य अघट घटना के घटने की मौन सूचना-सी दे रही हैं। दुर्ग का जो परकोटा समुद्र की ओर पड़ता है, उससे छूता हुआ और नगर के नैर्ऋत्य कोण के समुद्र में घुसे हुए उँचे शृंग पर महाकालेश्वर के विद्युत मन्दिर के ध्वंस दीख पड़ते हैं। मन्दिर के ध्वंसावशेष और दूर तक खड़े हुए टूटे-फूटे स्तम्भ, मन्दिर की अप्रतिम स्थापत्य कला और महानता की ओर संकेत करते हैं।

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Q. Who is the author of the book सोमनाथ / Somnath Hindi Book PDF Download?
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