टोर्च बेचने वाला / Torch bechne wala

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Description

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वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था ।

मैंने पूछा, ” कहाँ रहे? और यह दाढी क्यों बढा रखी है? ”
उसने जवाब दिया, ” बाहर गया था । ”

दाढीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढी पर हाथ फेरने लगा । मैंने कहा, ” आज तुम टार्च नहीं बेच रहे हो? ”
उसने कहा, ” वह काम बंद कर दिया । अब तो आत्मा के भीतर टार्च जल उठा है । ये ‘ सूरजछाप ‘ टार्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं । ”

मैंने कहा, ” तुम शायद संन्यास ले रहे हो । जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है, वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है । किससे दीक्षा ले आए? ”

मेरी बात से उसे पीडा हुई । उसने कहा, ” ऐसे कठोर वचन मत बोलिए । आत्मा सबकी एक है । मेरी आत्मा को चोट पहुँचाकर आप अपनी ही आत्मा को घायल कर रहे हैं । ”

मैंने कहा, ” यह सब तो ठीक है । मगर यह बताओ कि तुम एकाएक ऐसे कैसे हो गए? क्या बीवी ने तुम्हें त्याग दिया? क्या उधार मिलना बंद हो गया? क्या
हूकारों ने ज्यादा तंग करना शुरू कर दिया? क्या चोरी के मामले में फँस गए हो? आखिर बाहर का टार्च भीतर आत्मा में कैसे घुस गया? ”

0 comments on "टोर्च बेचने वाला / Torch bechne wala"

  1. RISHIKESH BHARTI says:

    इस कहानी करने का रिव्यु करने के पीछे इसके मारक होने के अलावा एक और कारन यह भई है की यह कहनी मात्र 7 पन्नो की है.

    हम किताब ले तो लेते हैं मगर समय का बहाना बना कर पढने को टालते रहते हैं. इसलिए यह कहानी सभी को पढ़ ही लेनी चाहिए .

    भारत में व्यंग विधा जहाँ तक भी पहुंची है , उसे वहां तक लाने में सबसे बड़ा योगदान हरिशंकर परसाई का ही है. धार्मिक, सामाजिक, राजनितिक, जहां भी कुरीति या करप्शन दिखाई दे, परसाई जी ने अपने व्यंग के बाण मार दिए.

    इस कहानी में लेखक नें समाज में प्रचलित बाजारीकरण और धार्मिक पाखंड पर प्रहार किया है. इस कहानी में लेखक ने टॉर्च बेचने वाले दो दोस्तों के माध्यम से बताया है की किस प्रकार संतों की वेशभूषा धारण कर के आत्मा के अँधेरे को दूर करने वाली टॉर्च बेचकर समाज में लोग अपनी पैठ जमाये हुए हैं और दुसरे भी इस धंधे में लाभ को देखकर यही करने के लिए प्रेरित होते हैं.

    इस कहानी की सबसे मारक लाइन- ” चाहे
    कोई दार्शनिक बने, संत बने या साधु बने, अगर वह लोगों को अँधेरे का डर दखाता है, तो ज़रूर अपनी कंपनी का टॉर्च बेचना चाहता है”

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