शर्मा जी का लड़का | Sharma Ji Ka Ladka Book PDF Download

आप डिस्क्रिप्शन बॉक्स में पढ़कर अंदाजा लगाना चाह रहे हैं कि उज्ज्वल मल्हावनी नाम के इस विचित्र लेखक ने ‘शर्मा जी का लड़का’ जैसे अटपटे शीर्षक के साथ जाने क्या लिख दिया है जिसे पढ़ने का आग्रह किया जा रहा है। दरअसल प्रेम, इश्क़, प्यार, मोहब्बत, और भी तरह-तरह के नामों से पुकारे जाने वाले इस रोग के बारे में अथाह लिखा जा चुका है, जिन्हें पढ़ने वाला इंसान उन किताबों को पढ़ने के बाद एक रोगी बनकर बाहर निकलता है। ‘शर्मा जी का लड़का’ ऐसे ही रोगियों की दवा है। इस किताब में न सिर्फ आशिकी वाला लाल रंग है बल्कि जीवन के विविध रंग भी हैं। संग्रह की हर कहानी हिंदी साहित्य में वर्तमान लेखन की बँधी हुई परिपाटी तोड़कर अपना रास्ता बनाना चाहती है और यह आपके साथ से ही संभव है।
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3.9/5 Votes: 6,950
Author
Ujjwal Malhawni
Size
1.9 MB
Pages
107
Language
Hindi

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Name : शर्मा जी का लड़का | Sharma Ji Ka Ladka Book PDF Download
Author :
Size : 1.9  MB
Pages : 107
Category : Novels
Language : Hindi
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आप डिस्क्रिप्शन बॉक्स में पढ़कर अंदाजा लगाना चाह रहे हैं कि उज्ज्वल मल्हावनी नाम के इस विचित्र लेखक ने ‘शर्मा जी का लड़का’ जैसे अटपटे शीर्षक के साथ जाने क्या लिख दिया है जिसे पढ़ने का आग्रह किया जा रहा है। दरअसल प्रेम, इश्क़, प्यार, मोहब्बत, और भी तरह-तरह के नामों से पुकारे जाने वाले इस रोग के बारे में अथाह लिखा जा चुका है, जिन्हें पढ़ने वाला इंसान उन किताबों को पढ़ने के बाद एक रोगी बनकर बाहर निकलता है। ‘शर्मा जी का लड़का’ ऐसे ही रोगियों की दवा है। इस किताब में न सिर्फ आशिकी वाला लाल रंग है बल्कि जीवन के विविध रंग भी हैं। संग्रह की हर कहानी हिंदी साहित्य में वर्तमान लेखन की बँधी हुई परिपाटी तोड़कर अपना रास्ता बनाना चाहती है और यह आपके साथ से ही संभव है।

 

Summary of book शर्मा जी का लड़का | Sharma Ji Ka Ladka Book PDF Download

नागिन डांस “17 मार्च, 2007 का दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास में काले दिन के रूप में जाना जाएगा।”
“राहुल द्रविड़ जैसा टेस्ट प्लेयर वनडे टीम का कप्तान, वो भी वर्ल्डकप में, आर यू जोकिंग विद द होल कंट्री?”
“माफ करना, दादा ने रन जरूर बनाए पर उनका स्ट्राइक रेट अनएक्सेप्टेबल था। युवराज सिंह की पारी को जरूर मैं अच्छा मान सकता हूँ।”
“दीवार में दरार नहीं पूरा छेद हो गया है, नाउ दिस इज द टाइम वी नीड टू थिंक अगेन।”
चैनलों को बार-बार बदला जा सकता था पर इस मैच का परिणाम नहीं, आखिर में रिमोट से टीवी बंद करने के बाद ऋषभ घर के बाहर निकल आया।
गली में बेमन से जमीन की ओर निगाह करके वो बढ़ा जा रहा था तभी सामने से आ रहे एक लड़के से वह टकरा गया। सामने से आ रहा वह लड़का भी उसी की तरह अनमना-सा था, उसकी नजरें भी सामने की जगह नीचे झुकी हुई थीं। दोनों ही आज इस तरह लग रहे थे मानो किन्हीं राजाओं ने उनका राज-पाट सब छीनकर उन्हें देश निकाला दे दिया हो- हताश, निराश, परेशान।
“ऐसे भी कोई खेलता है यार! आज का मैच तो सोचा था बड़े आराम से निकल जाएगा।” ऋषभ ने सौरभ को देखने के बाद फिर से नजरें झुका ली थीं।
“भाई, मुझे तो धोनी से बड़ी उम्मीद थी आज, पर उसका तो खाता भी नहीं खुला।”
“यहाँ सचिन-सहवाग भी कुछ नहीं उखाड़ पाए और तू धोनी की बात कर रहा है!”
“भाई, बांग्लादेश ने जो ये दर्द दिया है न, बड़े दिन तक रहेगा।”

कोलंबो के राणासिंघे प्रेमदास स्टेडियम में नीले रंग की छटा किसी समुंदर-सी लग रही है। उत्साह का ठीक वैसा माहौल बना हुआ है जैसे समुंदर की हिलोरें मारती लहरें नाचती-गाती हैं। जब देश को सपोर्ट करने की बात हो तो ये भारत के लोग कहीं भी पहुँच जाते हैं और बात क्रिकेट मैच की हो तब तो पूछना ही क्या? दुनिया के किसी भी कोने में मैच हो, हर जगह भारतीय फैंस नीले लिबास में स्टेडियम पहुँचे रहते हैं। और स्टेडियमों में ये नीलापन हो भी क्यों न, आखिर हम हैं ही इतनी संख्या में, वह भी हर जगह। मैच चाहे इंग्लैंड में हो रहा हो या न्यूजीलैंड में, दक्षिण अफ्रीका हो चाहे वेस्टइंडीज, हर जगह ही क्रिकेट को लेकर अलग ही सा जुनून चढ़ा होता है हम लोगों पर। कई बार तो स्टेडियम की लोकेशन तक नेट पर खँगालनी पड़ती है क्योंकि भैया होम टीम से ज्यादा बंदे तो हमारे यहाँ के बैठे रहते हैं। साला समझ ही नहीं आता कि ये मैच आखिर हो कहाँ रहा है?
कुछ समय पहले तक तो नीले रंग की जर्सी में गालों पर तिरंगा बनाए लोगों के बीच हर तरफ उत्साह और उमंग से छटपटाती, उछलती तरंगें दिखाई दे रही थीं, लोग उनकी तरफ कैमरा आने पर जंगलियों की तरह दाँत फाड़-फाड़कर तिरंगा ऊपर करके दिखा रहे थे। पर अब एक सन्नाटे ने उन्हें घेर लिया है। कुछ उत्तेजित चेहरों पर मायूसी छाने लगी है। किसी के हाथ जुड़े हुए हैं, किसी-किसी की आँखें बंद हैं और कोई तो न जाने कौन-सा मंत्र मन-ही-मन बड़बड़ा रहा है मानो इन बंद आँखों में बोले गए चार-पाँच शब्दों से जैसे कुछ चमत्कार ही हो जाएगा।

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