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Description of रूह । Rooh Book PDF Download

Name : रूह । Rooh Book PDF Download
Author : Invalid post terms ID.
Size :  20 MB
Pages : 176
Category : Novels, Travel & Tourism
Language : Hindi
Download Link:  Working


मैं जब इस किताब को लिखने, अपनी पूरी नासमझी के साथ कश्मीर पहुँचा तो मुझे वहाँ सिर्फ़ सूखा पथरीला मैदान नज़र आया। जहाँ किसी भी तरह का लेखन संभव नहीं था। पर उन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए मैंने जिस भी पत्थर को पलटाया उसके नीचे मुझे जीवन दिखा, नमी और प्रेम। मैं कहीं भी बचकर नहीं चला हूँ। जो जैसा है में, जैसा जीवन मैं देखना चाहता हूँ, उसे भी दर्ज करता चलता हूँ। कभी लगता है कि मैं पिता के बारे में लिखना चाहता था और कश्मीर लिख दिया और जब कश्मीर लिखने बैठा तो पिता दिखाई दिए। मेरी सारी यादें वहीं हैं जब हम चीज़ों को छू सकते थे। मैं छू सकता था, अपने पिता को, उनकी खुरदुरी दाढ़ी को, घर की खिड़की को, खिड़की से दिख रहे आसमान को, बुख़ारी को, काँगड़ी को। अब इस बदलती दुनिया में वो सारी पुरानी चीज़ें मेरे हाथों से छूटती जा रही हैं। उन छूटती चीज़ों के साथ-साथ मुझे लगता है मैं ख़ुद को भी खोता चला जा रहा हूँ। आजकल जो भी नई चीज़ें छूता हूँ वो अपने परायेपन की धूल के साथ आती हैं। मैं जितनी भी धूल झाड़ूँ, मुझे अपनापन उन्हीं पुरानी चीज़ों में नज़र आता है। लेकिन जब उनके बारे में लिखने बैठता हूँ तो यक़ीन नहीं होता कि वो मेरे इसी जनम का हिस्सा थीं।

 

Summary of book रूह । Rooh Book PDF Download


सामने पहाड़ थे जो दिख नहीं रहे थे, बारिश और धुंध में पूरा शहर सा डूबा हुआ था। जब अपने कमरे में चलता तो नमी पैरों में बार-बार चिपक जाती। मैं अपने शरीर पर हाथ लगाता तो नमी वहाँ भी महसूस होती । जाने कब से कहीं निकल जाने की ज़िद पर शरीर अड़ा हुआ था । अपने घर में ख़ाली मँडराते रहने के बजाय किसी अनजान जगह पर मँडराना ख़ालीपन को एक वजह देता है । मैं हमेशा से वजह के पीछे भागने वालों में से था । अब मेरे पास वजह थी कुछ न करने की । मैं चेरापूँजी में था और मेघालय में लॉकडाउन लगा हुआ था । मैं बाहर नहीं जा सकता था। इस होटल के परिसर में भी मँडराना मुश्किल था, क्योंकि बारिश बहुत कम वक़्त के लिए ही रुकती थी । कुल मिलाकर एक कमरा था और ज़्यादा से ज़्यादा खाने की

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Q. Who is the author of the book रूह । Rooh Book PDF Download?
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