अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download Free in this Post from Google Drive Link and Telegram Link , No tags for this post. All PDF Books Download Free and Read Online, अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download PDF , अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download Summary & Review. You can also Download such more Books Free - Antima Hindi Book PDF DownloadHindi Novels PDF Download FreeHindi PDF Books Downloadअंतिमा Hindi Book PDF Download
Description of अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download
Name | अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download |
Author | Invalid post terms ID. |
Size | 4.2 MB |
Pages | 208 |
Category | Novels |
Language | Hindi |
Download Link | Working |
कभी लगता था कि लंबी यात्राओं के लिए मेरे पैरों को अभी कई और साल का संयम चाहिए। वह एक उम्र होगी जिसमें किसी लंबी यात्रा पर निकला जाएगा। इसलिए अब तक मैं छोटी यात्राएँ ही करता रहा था। यूँ किन्हीं छोटी यात्राओं के बीच मैं भटक गया था और मुझे लगने लगा था कि यह छोटी यात्रा मेरे भटकने की वजह से एक लंबी यात्रा में तब्दील हो सकती है। पर इस उत्सुकता के आते ही अगले मोड़ पर ही मुझे उस यात्रा के अंत का रास्ता मिल जाता और मैं फिर उपन्यास के बजाय एक कहानी लेकर घर आ जाता। हर कहानी, उपन्यास हो जाने का सपना अपने भीतर पाले रहती है। तभी इस महामारी ने सारे बाहर को रोक दिया और सारा भीतर बिखरने लगा। हम तैयार नहीं थे और किसी भी तरह की तैयारी काम नहीं आ रही थी। जब हमारे, एक तरीक़े के इंतज़ार ने दम तोड़ दिया और इस महामारी को हमने जीने का हिस्सा मान लिया तब मैंने ख़ुद को संयम के दरवाज़े के सामने खड़ा पाया। इस बार भटकने के सारे रास्ते बंद थे। इस बार छोटी यात्रा में लंबी यात्रा का छलावा भी नहीं था। इस बार भीतर घने जंगल का विस्तार था और उस जंगल में हिरन के दिखते रहने का सुख था। मैंने बिना झिझके संयम का दरवाज़ा खटखटाया और ‘अंतिमा’ ने अपने खंडहर का दरवाज़ा मेरे लिए खोल दिया।
Summary of book अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download
मुझे उपन्यास लिखने के सपने आते थे। कहानियाँ लिखने में, जब भी किसी कहानी से
उपन्यास की ख़ुशबू आने लगती तो मेरे हाथ काँपने लगते। क्या यह उपन्यास है? मैं बार-बार
उस कहानी से पूछता। कहानी को उपन्यास होने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह मुझे ऐसे
ताकती मानो मैंने कोई अपराध कर दिया हो। कहानी को भूलकर मैं उपन्यास की ख़ुशबू के पीछे
भागना शुरू कर देता। मैं जल्दी से कहानी के उस हिस्से में पहुँचना चाहता था जहाँ से उपन्यास
की ख़ुशबू का फूटना शुरू हुआ था। जैसे कई बार वीरान सड़क पर चलते हुए अचानक आपको
रातरानी की ख़ुशबू आती है और तब आपके भीतर एक रिरियाती-सी इच्छा जागती है कि काश मैं
उस रातरानी के पेड़ को एक बार देख सकूँ। मैं बस एक बार उस रातरानी के गले लग जाना चाहता
था, उसे उपन्यास के इंतज़ार में ज़ाया हो जाने के क़िस्से सुनाना चाहता था। शायद कहानी में
उपन्यास की ख़ुशबू के पीछे भागते हुए मैं एक दिन उपन्यास तक पहुँच जाऊँगा का भ्रम ही मेरी
ग़लती रही थी। मैं कहानी की वीरान सड़कों पर भटकता ही रहा। मुझे वह रातरानी का पेड़ कभी
नहीं दिखा। कुछ देर में कहानियों से उपन्यास की ख़ुशबू भी आनी बंद हो गई थी और कहानियाँ
अपनी नाराज़गी में जहाँ थीं वहीं अनशन पर बैठ गई थीं। ऐसी जाने कितनी कहानियाँ उपन्यास
की ख़ुशबू तलाशने की बलि चढ़ी हैं। पर मैंने अपने छिछले बचकाने प्रयत्न कभी नहीं छोड़े।
बहुत वक़्त तक मैं मेरे भीतर की चंचलता और अपने बचकानेपन को ही उपन्यास ना लिख पाने
का मुख्य कारण मानता रहा था। इसलिए शायद मैं जल्दी से बूढ़ा हो जाना चाहता था। …….
अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download link is given below
We have given below the link of Google Drive to download in अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download Free, from where you can easily save PDF in your mobile and computer. You will not have to pay any charge to download it. This book is in good quality PDF so that you won't have any problems reading it. Hope you'll like our effort and you'll definitely share the अंतिमा / Antima Hindi Book PDF Download with your family and friends. Also, do comment and tell how did you like this book?