Uncategorized मैं बनूँगा गुलमोहर / Mai Banunga Gulmohar

मैं बनूँगा गुलमोहर / Mai Banunga Gulmohar

मैं बनूँगा गुलमोहर / Mai Banunga Gulmohar
Pages
Category Uncategorized Uncategorized
Report

4.5 Rating (321) Votes

Report

[wpdm_package id=’1569′]

सुशोभित की कविताएँ एक आदिम भित्तिचित्र, एक शास्त्रीय कलाकृति और एक असम्भव सिम्फ़नी की मिश्रित आकांक्षा हैं। ये असम्भव काग़ज़ों पर लिखी जाती होंगी- जैसे बारिश की बूँद पर शब्द लिख देने की कामना या बिना तारों वाले तानपूरे से आवाज़ पा लेने की उम्मीमद। ‘जो कुछ है’ के भीतर रियाज़ करने की ग़ाफि़ल उम्मी‍दों के मुख़ालिफ़ ये अपने लिए ‘जो नहीं हैं’ की प्राप्ति को प्रस्थामन करती हैं। पुरानियत इनका सिंगार है और नव्यहता अभीष्ट। दो विरोधी तत्व मिलकर बहुधा रचनात्मक आगत का शगुन बनाते हैं। – गीत चतुर्वेदी

Recommended for you

There are no comments yet, but you can be the one to add the very first comment!

Leave a comment