October Junction Hindi Book PDF Download

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4.6/5 Votes: 2,596
Author
Divya Prakash Dubey
Size
0.6 MB
Pages
114
Language
Hindi

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Description

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Description of October Junction Hindi Book PDF Download

Name  October Junction Hindi Book PDF Download
Author 
Category  Novels
Language  Hindi
Download Link  Working


चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में ‍10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं।
एक तरफ सुदीप है जिसने क्लास 12th के बाद पढ़ाई और घर दोनों छोड़ दिया था और मिलियनेयर बन गया। वहीं दूसरी तरफ चित्रा है, जो अपनी लिखी किताबों की पॉपुलैरिटी की बदौलत आजकल हर लिटरेचर फेस्टिवल की शान है। बड़े-से-बड़े कॉलेज और बड़ी-से-बड़ी पार्टी में उसके आने से ही रौनक होती है। हर रविवार उसका लेख अखबार में छपता है। उसके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में तब तक बहस होती रहती है जब तक कि उसका अगला आर्टिकल नहीं छप जाता।
हमारी दो जिंदगियाँ होती हैं। एक जो हम हर दिन जीते हैं। दूसरी जो हम हर दिन जीना चाहते हैं, अक्टूबर जंक्शन उस दूसरी ज़िंदगी की कहानी है। ‘अक्टूबर जंक्शन’ चित्रा और सुदीप की उसी दूसरी ज़िंदगी की कहानी है।

 

Summary of book October Junction Hindi Book PDF Download

सुदीप आरती देखने चला गया और वहाँ वह उन बच्चों के स्केच का हिस्सा हो गया। चित्रा ने अपना बिल अदा किया। वह भी घाट पर आरती देखने बैठ गई। उसको सुदीप दिख रहा था लेकिन वह जिस तरफ बैठी थी वहाँ से सुदीप उसको नहीं देख सकता था। आरती के बीच-बीच में चित्रा सुदीप की तरफ देख रही थी। थोड़ी देर बाद सुदीप जहाँ बैठा था वहाँ से उठकर जा चुका था। चित्रा ने एक-दो मिनट तक उसको आस-पास देखने की कोशिश की लेकिन वह दिखा नहीं।
हर अधूरी मुलाकात एक पूरी मुलाकात की उम्मीद लेकर आती है। हर पूरी मुलाकात अगली पूरी मुलाकात से पहले की अधूरी मुलाकात बनकर रह जाती है। एक अधूरी उम्मीद ही तो है जिसके सहारे हम बूढ़े होकर भी बूढ़े नहीं होते। किसी बूढ़े आशिक ने मरने से ठीक पहले कहा था कि एक छटाँक भर उम्मीद पर साली इतनी बड़ी दुनिया टिक सकती है तो मरने के बाद दूसरी दुनिया में उसकी उम्मीद बाँधकर तो मर ही सकता हूँ। बूढों की उम्मीद भरी बातें सुननी चाहिए। अच्छी लगती हैं, बस उनपर यकीन नहीं करना चाहिए। लेकिन ये सब बातें एक उम्र में समझ कहाँ आती हैं! चित्रा को उम्मीद न होती तो उसने वह सब थोड़े किया होता जो उसने किया।
थोड़ी देर बाद, चित्रा वहाँ जाकर बैठ गई जहाँ सुदीप बैठा हुआ था। उसने अपने मोबाइल पर सुदीप यादव नाम गूगल किया। यह वही सुदीप यादव था जिसके बारे में चित्रा ने थोड़ा-बहुत सुन रखा था। चित्रा ने एक बार फिर चारों और नजर दौड़ाई लेकिन वह कहीं दिखा नहीं। आरती खत्म करके वह अपने कमरे में आ गई। उसने अपना लैपटॉप खोलकर एक पन्ना लिखा। थोड़ी देर में लैपटॉप बंद किया और अपनी छोटी-सी एक नोटबुक में कुछ लिखने लगी। थोड़ी देर में वह उससे भी बोर हो गई। उसने होटल के कमरे का टीवी ऑन किया। टीवी पर इश्किया फिल्म का गाना ‘दिल तो बच्चा है जी’ चल रहा था।
लाइट ऑफ करके वह नहाने चली गई। जब वह नहाकर लौटी तब टीवी पर ‘मुन्नी बदनाम हुई’ चल रहा था। उसने टीवी बंद किया और सोने की कोशिश करने लगी।
उधर सुदीप ने ताज होटल में एंट्री करते ही रिसेप्शन पर अपने लिए अपडेट पूछा। रिसेप्शन पर खड़ी लड़की ने उसको बड़ी इज्जत से बताया कि अभिजात सर का फोन आया
था। उन्होंने कहा है कि ऑफिस में सब नार्मल है। आप आराम से अपनी छुट्टी पर रहें। कुछ भी

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Q. Who is the author of the book October Junction Hindi Book PDF Download?
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