प्रेम / Prem Book PDF Download Free in this Post from Google Drive Link and Telegram Link ,
Description of प्रेम / Prem Book PDF Download
Name | प्रेम / Prem Book PDF Download |
Author |
|
Size | 2.4 MB |
Pages | 227 |
Category | Self Help Books |
Language | Hindi |
Download Link | Working |
जीवन का आधार है प्रेम। परंतु प्रेम का आधार कहीं हीनता, दुर्बलता, लालच या भय तो नहीं? अक्सर ही हम हमारी गहरी-से-गहरी आसक्ति, मनमोहक आकर्षण, दूसरों पर निर्भरता इत्यादि को प्रेम का नाम दे देते हैं। सरल लफ़्ज़ों में कहा जाए तो हम हमारे गहरे-से-गहरे बंधन को प्रेम समझ बैठते हैं।
इस किताब में आचार्य प्रशांत ने बेहोशी से जनमे सम्बन्धों पर रौशनी डालते हुए उस प्रेम की ओर इशारा किया है जो मन की हीनता से नहीं पूर्णता से उत्पन्न होता है; जो दुर्बलता नहीं, आत्म शक्ति में स्थापित करता है; जो भय नहीं, आज़ादी की ओर उन्मुख कर जीवन को आत्म-ऊर्जा से भरता है।
आचार्य प्रशांत कहते हैं: सिर्फ़ एक विकसित मन ही प्रेम कर सकता है; प्रेम और बोध साथ ही पनपते हैं।
Summary of book प्रेम / Prem Book PDF Download
प्रेम क्या है और क्या नहीं?
प्रश्नकर्ताः प्रेम क्या है?
आचार्य प्रशांत: एक संगीतज्ञ था। उसके पास दो लोग सीखने के लिये आए। दोनों से उसने पूछा, “कितना सीखा है? अतीत में संगीत कितना है? कितना सीख कर आए हो?”
पहले वाले ने कहा, “कुछ नहीं जानता, बिल्कुल अनाड़ी हूँ, संगीत का ‘स’ भी नहीं पता।” तो उसने कहा, “ठीक है, तीन साल लगेंगे तुम्हें सिखाने में, दस हज़ार मार्कस तुमसे में लूँगा।” जर्मनी की बात है ये।
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