देवदत्त पटनायक सरल शैली में भारतीय मिथकों को पाठकों तक पहुंचाने वाले प्रमुख नाम हैं। हिंदी में इन किताबों की उपलब्धता और उनका सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध होने ने इनके प्रसार को नया विस्तार दिया है। उनकी यह किताब इस देश के दो महाकाव्यों की विभिन्न मानकों पर तुलना करती है जो अलग- अलग काल और परिप्रेक्ष्य में होने के बावजूद इस देश की सीमाओं से बाहर व्यापक रूप से प्रसिद्ध हैं। कुछ नई बातों को जानने और इनके आंचलिक, राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय विविध संस्करणों पर यह किताब एक ही जगह पर्याप्त जानकारी उपलब्ध करवाती है।
देवदत्त पटनायक सरल शैली में भारतीय मिथकों को पाठकों तक पहुंचाने वाले प्रमुख नाम हैं। हिंदी में इन किताबों की उपलब्धता और उनका सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध होने ने इनके प्रसार को नया विस्तार दिया है। उनकी यह किताब इस देश के दो महाकाव्यों की विभिन्न मानकों पर तुलना करती है जो अलग- अलग काल और परिप्रेक्ष्य में होने के बावजूद इस देश की सीमाओं से बाहर व्यापक रूप से प्रसिद्ध हैं। कुछ नई बातों को जानने और इनके आंचलिक, राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय विविध संस्करणों पर यह किताब एक ही जगह पर्याप्त जानकारी उपलब्ध करवाती है।