[wpdm_package id=’1370′]
दुनिया भर के इतिहासकार सम्राट अशोक की जन्ग – तिथि को लेकर हैरान हैं। आखिर चैत शुक्ल अष्टमी को अशोक की जन्म – तिथि क्यों और कैसे है?
बात 408 ई. की है। तब फाहियान पाटलिपुत्र में मौजूद थे। वो अप्रैल महीने की 19 तारीत थी।
दिन रविवार था। पूरा पाटलिपुत्र अशोक जयंती के जलरो में डूबा हुआ था। फाहियान ने इस जलरो का आँखों देखा हाल प्रस्तुत किए हैं।
तब भारत में शक संवत का प्रवलन था। सो 408 ई. का शक संवत में रूपांतरण 330 होगा। शक संवत 330 में चैत का अधिमास ( Leap month) था। कैसे अधिमास था? इसका सूत्र है कि 330 में 12 का गुणा कीजिए और फिर 19 का भाग दीजिए। यदि शेषफल 9 से कम होगा, तब रागझिए कि शक संवत 330 का साल अधिगारा होगा| गणना करने पर शेषफल 8 आता है। साबित हुआ कि शक संवत 330 अर्थात 408 ई. में अधिगारा था।
o
अब जानिए कि किस महीने में अधिमास था। इसके लिए दो सूत्र हैं। पहला यह कि शक संवत 330 में 1666 को घटाइए। फिर 19 का भाग दीजिए। यदि शेषफल 3 है तो समझिए कि वह चैत का अधिमारा था। दूसरा सूत्र यह है कि शक संवत 330 में 928 घटाइए। फिर 19 का भाग दीजिए।
यदि शेषफल 9 है तो समझिए कि वह वैत का अधिमास था। दोनों सूत्र से जाँचने के बाद पता चलता है कि 408 ई. में वैत का अधिमास था। अर्थात दो वैत साथ – साथ लगे थे।
1
फाहियान ने लिखा है कि पाटलिपुत्र में प्रत्येक साल सेकेंड मून ( Second Moon ) में 8 वीं तिथि को जुलूस निकलता था| 408 ई. में Secod Moon में 8 वीं तिथि वैत शुक्ल अष्टमी होगी।
इसलिए कि उस साल वैत अधिमास था। फाहियान ने जुलूस का सविस्तार वर्णन किया है। इस दिन 4 पहिए का स्थ बनता थास्थ 20 हाथ ऊँचा और स्तूप के आकार का बनता था। बीच में बुद्ध की मूर्ति होती थी। बड़े पैमाने पर लोग जुलूस में शामिल होते थे। नावते – गाते था प्रमुख लोग औषाधालय स्थापित करते थे। गरीब, अपंग, अनाथ, विधवा आदि की सहायता करते थे। वैद्य बीमार लोगों की चिकित्सा करते थे।