श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download

TELEGRAM
1.0/5 Votes: 1

Report this Book

Description

 श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download Free in this Post from Google Drive Link and Telegram Link , No tags for this post. All PDF Books Download Free and Read Online, श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download PDF , श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download Summary & Review. You can also Download such more Books Free -

Description of श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download

Name  श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download
Author  Invalid post terms ID.
Size   3.2 MB
Pages  302
Category  History, Inspiration, Motivational, Novels, Religious & Sprituality
Language  Hindi
Download Link  Working


श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान कोई शब्दिक चर्चा या सैद्धांतिक ज्ञान नहीं बल्कि रणक्षेत्र में खड़े एक योद्धा के लिए कहे गए शब्द हैं। भगवद्गीता का जन्म किसी शान्त, मनोरम जंगल में नहीं, बल्कि कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। अर्जुन के सामने एक तरफ धर्म था तो दूसरी तरफ नात-रिश्तेदार और गुरुजनों का मोह। बड़ा कठिन था अर्जुन के लिए निर्णय लेना। अर्जुन कोई जीवन से विरक्त शिष्य नहीं था, जो संसार का मोह त्यागकर कृष्ण के पास आया हो। वह युद्ध के मैदान में खड़ा था। उसे निर्णय करना था कि युद्ध करे कि ना करे। अर्जुन ने धर्म नहीं बल्कि मोह और स्वार्थ चुना था। कृष्ण के समक्ष एक ऐसा हठी शिष्य था जो सुनने को राजी नहीं था क्योंकि अर्जुन का भी मन एक साधारण मन ही था, अपनों पर बाण चलाना उसके लिए आसान नहीं था। श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारह अध्याय कृष्ण द्वारा हठी अर्जुन को मनाने का प्रयास हैं। हमारी भी स्थिति अर्जुन से अलग नहीं है। हमारे भी जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जहाँ निर्णय लेना आसान नहीं होता। यदि हमें कृष्ण का साथ नहीं मिला तो जीवन के कुरुक्षेत्र में हम हार ही जाएँगे क्योंकि कृष्ण के बिना जीत अंसभव है। आचार्य प्रशांत की यह पुस्तक ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ आपके लिए इसीलिए प्रकाशित की गई है ताकि आप अपने जीवन में कृष्ण का संग पा सकें।

 

Summary of book श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download


हे राजन! इसके बाद कपिध्वज ने मोर्चा बाँधकर डटे हुए धृतराष्ट्र-सम्बन्धियों को देखकर, उस शस्त्र चलने की तैयारी के समय धनुष उठाकर हृषिकेश श्रीकृष्ण महाराज से यह वचन कहा- हे अच्युत! मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा कीजिए। और जब तक कि मैं युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओं को भली प्रकार देख न लूँ कि इस युद्ध व्यापार में मुझे किन-किनके साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिए।
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। आज जब इसका स्वाध्याय कर रहे थे तो श्लोक संख्या २० में अर्जुन को ‘कपिध्वज’ विशेषण से पुकारा गया है। और पहले ही अध्याय के श्लोक २२ में अर्जुन कहते हैं कि दोनों सेनाओं के बीच में रथ खड़ा कीजिए जिससे मैं दोनों सेनाओं का निरीक्षण कर सकूँ। उस श्लोक में कहते हैं कि देखूँ कि इस युद्ध रूप व्यापार में मुझे किन-किनके साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिए। तो युद्ध का व्यापार और कपिध्वज का क्या आशय है?

We have given below the link of Google Drive to download in श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download Free, from where you can easily save PDF in your mobile and computer. You will not have to pay any charge to download it. This book is in good quality PDF so that you won't have any problems reading it. Hope you'll like our effort and you'll definitely share the श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download with your family and friends. Also, do comment and tell how did you like this book? 

Q. Who is the author of the book श्रीमद्भगवद्गीता / ShrimadBhagavadGita Hindi Book PDF Download?
Answer. No tags for this post.

Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *