सम्राट चंद्रगुप्त / Samrat Chandragupt Jiwani PDF Book Download

प्रस्तुत पुस्तक में ऐतिहासिक तथ्यों के ढाँचे पर अपनी भाषा का रंग चढ़ाकर चंद्रगुप्त का चरित्र लिखा गया है। नायक की एकध्येयनिष्ठा ने स्वयं ही उसमें प्राण-प्रतिष्ठा की है। कुछ घटनाओं का वर्णन पाश्चात्य विद्वानों द्वारा लिखे हुए इतिहास से मेल नहीं खाता है। प्रस्तुत यह वर्णन कल्पना के आधार पर न होते हुए अपने प्राचीन तथ्यों तथा भारतीय विद्वानों द्वारा दी हुई आधुनिक खोजों के आधार पर है। जिनके लिए यह पुस्तक लिखी गई है, उन्हें सब प्रकार के ऐतिहासिक तथ्यों के वन में भ्रमण कराने की आवश्यकता नहीं है। इतना जानना पर्याप्त है कि यूरोपियन विद्वानों द्वारा प्रयत्नपूर्वक एवं उनका अंधानुकरण करनेवाले भारतीय विद्वानों द्वारा अनजाने में फैलाए हुए अंधकार को नष्ट करनेवाले ऐतिहासिक शोध के सूर्यप्रकाश में देखी हुई ये सत्य घटनाएँ हैं। —दीनदयाल उपाध्याय.
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Author
Deendayal Upadhyaya
Size
1 MB
Pages
49
Language
Hindi

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Name : सम्राट चंद्रगुप्त / Samrat Chandragupt Jiwani PDF Book Download
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Size :   MB
Pages :
Category : Biography / Autobiography
Language : Hindi
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प्रस्तुत पुस्तक में ऐतिहासिक तथ्यों के ढाँचे पर अपनी भाषा का रंग चढ़ाकर चंद्रगुप्त का चरित्र लिखा गया है। नायक की एकध्येयनिष्ठा ने स्वयं ही उसमें प्राण-प्रतिष्ठा की है। कुछ घटनाओं का वर्णन पाश्चात्य विद्वानों द्वारा लिखे हुए इतिहास से मेल नहीं खाता है। प्रस्तुत यह वर्णन कल्पना के आधार पर न होते हुए अपने प्राचीन तथ्यों तथा भारतीय विद्वानों द्वारा दी हुई आधुनिक खोजों के आधार पर है। जिनके लिए यह पुस्तक लिखी गई है, उन्हें सब प्रकार के ऐतिहासिक तथ्यों के वन में भ्रमण कराने की आवश्यकता नहीं है। इतना जानना पर्याप्त है कि यूरोपियन विद्वानों द्वारा प्रयत्नपूर्वक एवं उनका अंधानुकरण करनेवाले भारतीय विद्वानों द्वारा अनजाने में फैलाए हुए अंधकार को नष्ट करनेवाले ऐतिहासिक शोध के सूर्यप्रकाश में देखी हुई ये सत्य घटनाएँ हैं। —दीनदयाल उपाध्याय.

 

Summary of book सम्राट चंद्रगुप्त / Samrat Chandragupt Jiwani PDF Book Download

पुण्यमयी भारतभूमि की विशाल ऐतिहासिक परंपरा में वैभव और पराभव, उत्कर्षं और अपकर्षं के अनेक कालखंड मिलते हैं । उन्नति और अवनति दोनों ही में उसने अपनी राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत रखा है, दोनों ही स्थितियों में अपनी आत्मा को बलवती बनाया है। पराभव प्राप्त होने पर उसने काल-चक्र की गति को भी बदलने वाले उन कर्मठ वीरों को जन्म दिया, जिन्होंने अपनी मनस्विता, स्वाभिमान एवं नीति-निपुणता के द्वारा राष्ट्रीय आत्मा की सुप्त शक्ति को जगाया। यह शक्ति अन्याय और अत्याचार की भीषण आँधी में भी अपने स्थान पर शांत मुद्रा से डटी रही और अगस्त्य के समान कठिनाइयों के अलंघ्य विंध्याचल का अतिक्रमण करके समुद्र जैसी उद्दंड एवं विशाल शक्ति को भी तीन ही चुल्लू में पान करने में समर्थ हुई। इसी प्रकार इसके वैभव और शांति के काल में वे तत्त्वज्ञ हुए, जिन्होंने आत्मा की ईश्वरीय शक्ति का साक्षात्कार करके मानव के कल्याण के लिए सत्य सिद्धांतों का प्रतिपादन किया, ऐसा ही एक कालखंड आज से 2400 वर्ष पूर्व हमको मिलता है। इसमें चंद्रगुप्त और चाणक्य के सम्मिलित प्रयत्नों ने समाज की उस रचनात्मक शक्ति का सृजन किया, जिसने न केवल अलिक्सुंदर को ही भारत से निकाल बाहर किया, अपितु एक विशाल साम्राज्य का भी निर्माण किया।
चंद्रगुप्त और चाणक्य ने कल्पना के मनोराज्य में जिस विशाल साम्राज्य का मानचित्र खींचा था, उसे एक ने अपनी अजेय शक्ति तथा दूसरे ने अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर प्रत्यक्ष जगत् में प्रकट कर दिखाया। अलिक्सुंदर के आक्रमण का भारत में प्रत्येक स्थान पर विरोध हुआ और देश में इतनी शक्ति थी कि वह पश्चिम के महान् विजेता (?) को पराभूत कर सकी; परंतु फिर भी भारत पूर्णतः शक्तिशाली नहीं था। समाज असंगठित, विशृंखल तथा व्यक्तिनिष्ठ था। इन अवगुणों के कारण देश की बढ़ती हुई दुर्बलता चंद्रगुप्त और चाणक्य से न छिप सकी, क्योंकि वे थे देश की नाड़ी पहचानने वाले चतुर वैद्य । देश की आत्मा के साथ अपनी आत्मा को समरस करने के कारण दुर्बलता की वेदना को उन्होंने अनुभव किया। पर्वतक की विशाल…

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