द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download

नादिया मुराद एक साहसी यज़ीदी युवती हैं जिन्होंने आईएसआईएस की कैद में रहते हुए यौन उत्पीड़न और अकल्पनीय दुख सहन किया है। नादिया के छह भाइयों की हत्या के बाद उनकी माँ को मार दिया गया और उनके शव कब्रिस्तान में दफ़ना दिए गए। परंतु नादिया ने हिम्मत नहीं हारी। यह संस्मरण, इराक में नादिया के शांतिपूर्ण बचपन से लेकर क्षति और निर्ममता, और फिर जर्मनी में उनके सुरक्षित लौटने तक का प्रेरणादायक सफ़र है। नादिया पर एलेक्ज़ैंड्रिया बॉम्बाख़ ने ऑन हर शोल्डर्स नामक फ़िल्म बनाई है, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और वह संयुक्त राष्ट्र के डिग्निटी ऑफ़ सरवाइवर्स ऑफ़ ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग की पहली गुडविल एंबेसेडर भी हैं। इस किताब का सबसे बड़ा संदेश है : साहस और प्रमाण के साथ अपनी बात कहने से दुनिया को बदला जा सकता है। यह पुस्तक यज़ीदियों द्वारा सहन किए गए अत्याचार की सशक्त अभिव्यक्ति और उनके समुदाय की आध्यात्मिक संस्कृति की झलक प्रदान करती है... यह एक साहसी महिला द्वारा लिखी एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। -ईअन बिरेल, द टाइम्स एक साहसिक किताब... जो लोग तथाकथित इस्लामिक स्टेट के बारे में जानना चाहते हैं उन्हें यह पुस्तक पढ़नी चाहिए। - द इकोनॉमिस्ट
DownloadTELEGRAM
4.5/5 Votes: 6,852
Author
Nadia Murad
Size
40 MB
Pages
340
Language
Hindi

Report this Book

PDF Preview

Description

 द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download Free in this Post from Google Drive Link and Telegram Link ,

All PDF Books Download Free and Read Online, द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download PDF , द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download Summary & Review. You can also Download such more Books Free -

Description of द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download

Name : द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download
Author : Invalid post terms ID.
Size : 40  MB
Pages : 340
Category : Biography / Autobiography
Language : Hindi
Download Link:  Working

[adinserter block=”1″]

नादिया मुराद एक साहसी यज़ीदी युवती हैं जिन्होंने आईएसआईएस की कैद में रहते हुए यौन उत्पीड़न और अकल्पनीय दुख सहन किया है। नादिया के छह भाइयों की हत्या के बाद उनकी माँ को मार दिया गया और उनके शव कब्रिस्तान में दफ़ना दिए गए।
परंतु नादिया ने हिम्मत नहीं हारी।
यह संस्मरण, इराक में नादिया के शांतिपूर्ण बचपन से लेकर क्षति और निर्ममता, और फिर जर्मनी में उनके सुरक्षित लौटने तक का प्रेरणादायक सफ़र है। नादिया पर एलेक्ज़ैंड्रिया बॉम्बाख़ ने ऑन हर शोल्डर्स नामक फ़िल्म बनाई है, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और वह संयुक्त राष्ट्र के डिग्निटी ऑफ़ सरवाइवर्स ऑफ़ ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग की पहली गुडविल एंबेसेडर भी हैं। इस किताब का सबसे बड़ा संदेश है : साहस और प्रमाण के साथ अपनी बात कहने से दुनिया को बदला जा सकता है।
यह पुस्तक यज़ीदियों द्वारा सहन किए गए अत्याचार की सशक्त अभिव्यक्ति और उनके समुदाय की आध्यात्मिक संस्कृति की झलक प्रदान करती है… यह एक साहसी महिला द्वारा लिखी एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
-ईअन बिरेल, द टाइम्स

एक साहसिक किताब… जो लोग तथाकथित इस्लामिक स्टेट के बारे में जानना चाहते हैं उन्हें यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।
– द इकोनॉमिस्ट

[adinserter block="2"]

 

Summary of book द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download

नादिया मुराद केवल मेरी मुवक्किल ही नहीं, मेरी दोस्त भी हैं। हम लंदन में पहली बार मिले तो उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनकी वकील बन सकती हूँ। उन्होंने कहा कि वह मुझे आवश्यक धन-राशि नहीं दे सकेंगी और यह भी बताया कि उनका मामला लंबा चलेगा और शायद वह हार भी जाएँ। फिर उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय लेने से पहले मुझे एक बार उनकी कहानी सुननी चाहिए। 2014 में आईएसआईएस ने इराक में स्थित नादिया के गाँव पर हमला किया, जिसके बाद इक्कीस वर्षीय छात्रा नादिया का जीवन पूरी तरह बिखर गया। नादिया ने अपनी आँखों के सामने अपनी माँ और अपने भाइयों को मरते देखा। उन्हें आईएसआईएस के एक से दूसरे आतंकी को दिया जाता रहा। उन्हें प्रार्थना करने और हर बार बलात्कार से पहले सजने-सँवरने को विवश किया जाता था। एक रात पुरुषों के समूह ने नादिया के साथ इतना दुर्व्यवहार किया कि वह बेहोश हो गईं। नादिया ने मुझे जलती सिगरेट और मार-पीट से शरीर पर लगे घाव के निशान भी दिखाए। उन्होंने बताया कि इस कठिन संघर्ष के दौरान आईएसआईएस के आतंकी उन्हें “नीच नास्तिक” कहकर बुलाते थे। वे यज़ीदी स्त्रियों को हासिल करने और दुनिया से उनके धर्म को मिटा देने की बातें भी करते थे। नादिया उन हज़ारों यज़ीदियों में से एक थीं, जिन्हें आईएसआईएस वाले बाज़ार और फ़ेसबुक पर बेचते थे। कई बार तो उन्हें केवल बीस डॉलर में बेच दिया जाता था। नादिया की माँ, उन अस्सी औरतों में से एक थीं, जिन्हें मारकर अनजान जगह पर दफ़ना दिया गया और नादिया के छह भाई उन सैकड़ों पुरुषों में शामिल थे, जिनकी एक ही दिन में हत्या कर दी गई। दरअसल, नादिया मुझे जो बता रही थीं, उसे नरसंहार कहते हैं। नरसंहार अचानक नहीं होता। इसकी योजना बनाई जाती है। इस संहार से पहले आईएसआईएस के “शोध एवं फ़तवा विभाग” ने यज़ीदियों के विषय में जानकारी हासिल की और निष्कर्ष निकाला कि कुर्द भाषा बोलने वाले इन नास्तिक लोगों का अपना कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं था; इसलिए इन्हें ग़ुलाम बनाना “शरीयत क़ानून का मज़बूत और सिद्ध पहलू” है। यही कारण है कि आईएसआईएस की विकृत विचारधारा के अनुसार यज़ीदी समुदाय बाक़ी के ईसाइयों, शिया और अन्य लोगों से अलग हैं तथा उनके साथ बलात्कार करना ग़लत नहीं था। बल्कि यज़ीदियों को ख़त्म करने का यही सबसे अच्छा तरीक़ा था। इसके बाद बुराई का पूरा तंत्र स्थापित हो गया। यहाँ तक कि आईएसआईएस ने अधिक जानकारी के लिए “कैदियों व ग़ुलामों की व्यापार-संबंधी प्रश्नोत्तरी” शीर्षक से पर्चे जारी करवा दिए। “प्रश्न: क्या कच्ची उम्र की लड़की के साथ संभोग किया जा सकता है? उत्तर: कच्ची उम्र की ग़ुलाम लड़की यदि स्वस्थ है, तो संभोग किया जा सकता है। प्रश्न: क्या महिला क़ैदी को बेचने की अनुमति है? उत्तर: महिला क़ैदियों को ख़रीदने, बेचने या भेंट करने की अनुमति है, क्योंकि वे केवल संपत्ति होती हैं।” [adinserter block=”1″]नादिया ने लंदन में जब मुझे अपनी कहानी सुनाई, तब तक आईएसआईएस द्वारा यज़ीदियों के संहार को शुरू हुए दो वर्ष ही बीते थे। आईएसआईएस ने हज़ारों औरतों और बच्चों को क़ैदी बना रखा था, लेकिन इन अपराधों के लिए दुनिया के किसी न्ययालय में आईएसआईएस के एक भी सदस्य के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं हुई थी। सबूतों को ग़ायब या नष्ट कर दिया जाता था। न्याय की कोई संभावना दिखाई नहीं पड़ रही थी। फिर मैंने यह मामला अपने हाथ में ले लिया। नादिया और मैंने मिलकर न्याय के लिए एक साल तक अभियान चलाया। हमने कई बार इराकी सरकार, सयुंक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों और आईएसआईएस द्वारा प्रताड़ित लोगों से मुलाक़ात की। मैंने रिपोर्टें बनाईं, मसौदे एवं क़ानूनी विश्लेषण उपलब्ध करवाए और अपने भाषणों में संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई करने का आग्रह भी किया। हमारे अधिकतर संभाषियों ने बताया कि यह असंभव है: सुरक्षा परिषद ने वर्षों से अंतरराष्ट्रीय न्याय पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। हालाँकि मैं जब यह भूमिका लिख रही हूँ, उसी समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें छानबीन के लिए एक दल बनाया गया है, जो इराक में आईएसआईएस के अपराधों के सबूत एकत्रित करेगा। यह नादिया समेत आईएसआईएस द्वारा प्रताड़ित लोगों की बड़ी जीत है, क्योंकि इसका अर्थ है कि सारे सबूत सँभालकर रखे जाएँगे और उनके आधार पर आईएसआईएस के सदस्यों पर मुकदमा चलेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब यह प्रस्ताव एकमत से स्वीकार किया गया तो मैं नादिया के साथ परिषद में ही बैठी थी। हमने पंद्रह हाथ उठते देखे तो मैं और नादिया एक-दूसरे को देखकर मुस्करा दिए।नादिया मुराद केवल मेरी मुवक्किल ही नहीं, मेरी दोस्त भी हैं। हम लंदन में पहली बार मिले तो उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनकी वकील बन सकती हूँ। उन्होंने कहा कि वह मुझे आवश्यक धन-राशि नहीं दे सकेंगी और यह भी बताया कि उनका मामला लंबा चलेगा और शायद वह हार भी जाएँ। फिर उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय लेने से पहले मुझे एक बार उनकी कहानी सुननी चाहिए। 2014 में आईएसआईएस ने इराक में स्थित नादिया के गाँव पर हमला किया, जिसके बाद इक्कीस वर्षीय छात्रा नादिया का जीवन पूरी तरह बिखर गया। नादिया ने अपनी आँखों के सामने अपनी माँ और अपने भाइयों को मरते देखा। उन्हें आईएसआईएस के एक से दूसरे आतंकी को दिया जाता रहा। उन्हें प्रार्थना करने और हर बार बलात्कार से पहले सजने-सँवरने को विवश किया जाता था। एक रात पुरुषों के समूह ने नादिया के साथ इतना दुर्व्यवहार किया कि वह बेहोश हो गईं। नादिया ने मुझे जलती सिगरेट और मार-पीट से शरीर पर लगे घाव के निशान भी दिखाए। उन्होंने बताया कि इस कठिन संघर्ष के दौरान आईएसआईएस के आतंकी उन्हें “नीच नास्तिक” कहकर बुलाते थे। [adinserter block=”1″]वे यज़ीदी स्त्रियों को हासिल करने और दुनिया से उनके धर्म को मिटा देने की बातें भी करते थे। नादिया उन हज़ारों यज़ीदियों में से एक थीं, जिन्हें आईएसआईएस वाले बाज़ार और फ़ेसबुक पर बेचते थे। कई बार तो उन्हें केवल बीस डॉलर में बेच दिया जाता था। नादिया की माँ, उन अस्सी औरतों में से एक थीं, जिन्हें मारकर अनजान जगह पर दफ़ना दिया गया और नादिया के छह भाई उन सैकड़ों पुरुषों में शामिल थे, जिनकी एक ही दिन में हत्या कर दी गई। दरअसल, नादिया मुझे जो बता रही थीं, उसे नरसंहार कहते हैं। नरसंहार अचानक नहीं होता। इसकी योजना बनाई जाती है। इस संहार से पहले आईएसआईएस के “शोध एवं फ़तवा विभाग” ने यज़ीदियों के विषय में जानकारी हासिल की और निष्कर्ष निकाला कि कुर्द भाषा बोलने वाले इन नास्तिक लोगों का अपना कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं था; इसलिए इन्हें ग़ुलाम बनाना “शरीयत क़ानून का मज़बूत और सिद्ध पहलू” है। यही कारण है कि आईएसआईएस की विकृत विचारधारा के अनुसार यज़ीदी समुदाय बाक़ी के ईसाइयों, शिया और अन्य लोगों से अलग हैं तथा उनके साथ बलात्कार करना ग़लत नहीं था। बल्कि यज़ीदियों को ख़त्म करने का यही सबसे अच्छा तरीक़ा था। इसके बाद बुराई का पूरा तंत्र स्थापित हो गया। यहाँ तक कि आईएसआईएस ने अधिक जानकारी के लिए “कैदियों व ग़ुलामों की व्यापार-संबंधी प्रश्नोत्तरी” शीर्षक से पर्चे जारी करवा दिए। “प्रश्न: क्या कच्ची उम्र की लड़की के साथ संभोग किया जा सकता है? उत्तर: कच्ची उम्र की ग़ुलाम लड़की यदि स्वस्थ है, तो संभोग किया जा सकता है। प्रश्न: क्या महिला क़ैदी को बेचने की अनुमति है? उत्तर: महिला क़ैदियों को ख़रीदने, बेचने या भेंट करने की अनुमति है, क्योंकि वे केवल संपत्ति होती हैं।” नादिया ने लंदन में जब मुझे अपनी कहानी सुनाई,[adinserter block=”1″]तब तक आईएसआईएस द्वारा यज़ीदियों के संहार को शुरू हुए दो वर्ष ही बीते थे। आईएसआईएस ने हज़ारों औरतों और बच्चों को क़ैदी बना रखा था, लेकिन इन अपराधों के लिए दुनिया के किसी न्ययालय में आईएसआईएस के एक भी सदस्य के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं हुई थी। सबूतों को ग़ायब या नष्ट कर दिया जाता था। न्याय की कोई संभावना दिखाई नहीं पड़ रही थी। फिर मैंने यह मामला अपने हाथ में ले लिया। नादिया और मैंने मिलकर न्याय के लिए एक साल तक अभियान चलाया। हमने कई बार इराकी सरकार, सयुंक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों और आईएसआईएस द्वारा प्रताड़ित लोगों से मुलाक़ात की। मैंने रिपोर्टें बनाईं, मसौदे एवं क़ानूनी विश्लेषण उपलब्ध करवाए और अपने भाषणों में संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई करने का आग्रह भी किया। हमारे अधिकतर संभाषियों ने बताया कि यह असंभव है: सुरक्षा परिषद ने वर्षों से अंतरराष्ट्रीय न्याय पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। हालाँकि मैं जब यह भूमिका लिख रही हूँ, उसी समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें छानबीन के लिए एक दल बनाया गया है, जो इराक में आईएसआईएस के अपराधों के सबूत एकत्रित करेगा। यह नादिया समेत आईएसआईएस द्वारा प्रताड़ित लोगों की बड़ी जीत है, क्योंकि इसका अर्थ है कि सारे सबूत सँभालकर रखे जाएँगे और उनके आधार पर आईएसआईएस के सदस्यों पर मुकदमा चलेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब यह प्रस्ताव एकमत से स्वीकार किया गया तो मैं नादिया के साथ परिषद में ही बैठी थी। हमने पंद्रह हाथ उठते देखे तो मैं और नादिया एक-दूसरे को देखकर मुस्करा दिए।

 

[adinserter block="3"]

We have given below the link of Google Drive to download in द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download Free, from where you can easily save PDF in your mobile and computer. You will not have to pay any charge to download it. This book is in good quality PDF so that you won't have any problems reading it. Hope you'll like our effort and you'll definitely share the द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download with your family and friends. Also, do comment and tell how did you like this book? 

Q. Who is the author of the book द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download?
Answer.

[adinserter block="4"]

 

Download

[adinserter block="5"]

2 comments on "द लास्ट गर्ल | The Last Girl Book Hindi PDF Download"

  1. sudhir Kumar singh says:

    please send passward

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *