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एक कला-विशेषज्ञ नकल को तुरंत पहचान लेता है। एक पुलिसकर्मी जानता है कि कब गोली चलानी है। एक मनोवैज्ञानिक कुछ ही मिनटों में किसी दंपति का भविष्य सटीकता से बता देता है। यह पुस्तक उस क्षण के बारे में है, जब हम बिना कारण जाने कुछ ‘जान’ जाते हैं। यह दर्शाती है कि अपने अंतर्बोध को धार देना विचार करने से जुड़े आपके विचारों को बदल सकता है।
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