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वह कोई आवाज, कोई चेहरा, कोई नाम, कोई पहचान नहीं है। लेकिन वह एक इरादा है।
मैं रिवाना बनर्जी हूं, जो मुंबई में अकेली रहती है। मेरे माता-पिता मुझे प्यार करते हैं, मेरा प्रेमी मुझे प्यार करता है और मेरे पास एक बहुत अच्छा काम है। लेकिन यहाँ एक बात है: मेरा जीवन खतरे में है। किसी ने मेरा पीछा किया, मेरे हर कदम को देखा, मेरे जीवन पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। पहले तो मुझे लगा कि मेरा ध्यान पाने के लिए यह एक मूर्खतापूर्ण शरारत है। मेरी रुम पार्टनर ने सुझाव दिया कि वह एक गुप्त प्रशंसक होना चाहिए। क्या सच में? वह नहीं जानता कि पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया है। जल्द ही मुझे पता चल जाएगा कि क्या यह सिर्फ एक प्रेमी का जुनून है या इसमें कुछ और भी है। BTW, मैं उसे अजनबी कहती हूँ।
पूर्व की सबसे ज्यादा बिकने लेखक, कैसे एक पाप आज रात के बारे में ?, बारिश में कि चुंबन और हमेशा के परे एक बात भावनात्मक मोड़, रिश्ते quirks और मन स्तब्ध खुलासे के साथ एक सुरम्य कहानी सगर्भा आता है से।
पुस्तक का कुछ अंश:
रिवाना ने एक जम्हाई के साथ अपनी नींद से भारी आंखें खोलीं। उसके मुंह से लार टपक
रही थी। इससे पहले कि वो बिस्तर से उतर पाती, ऊपर पंखे से लटकते अपने ही शरीर को
देखकर उसके दिल की धड़कनें जैसे रुक सी गईं। पंखे से लटकता हुआ शरीर उसी नाइटड्रेस
में था जो उसने पहन रखी थी। अपनी जमी हुई पथरीली आंखों से वो शरीर ठीक रिवाना की
तरफ़ देख रहा था। जैसे ही दोनों की नज़रें मिलीं, पंखे से लटकता हुआ वो शरीर
खिलखिलाकर हंस पड़ा। रिवाना उठकर कमरे से बाहर भाग जाना चाहती थी, लेकिन ऐसे
लगा जैसे किसी ने उसे बिस्तर से चिपका दिया है। हंसी की आवाज़ अब इतनी तेज़ हो गई
थी कि रिवाना को लगा, वो बहरी हो जाएगी। इससे पहले की उस सपने में कुछ और ज़्यादा
ख़ौफ़नाक होता, इस बार उसकी वाकई नींद खुल गई थी।
मई का महीना था और कोलकाता में गर्मी और उमस दोनों थी। गर्मी हो या सर्दी,
रिवाना को हमेशा से एसी एकदम ठंडा करके कंबल ओढ़कर सोने की आदत थी। उसने एक
लंबी सांस छोड़ी, जैसे कि वो अपने भीतर से इस ख़राब सपने के डर को निकाल फेंकना
चाहती हो। उसने यही सपना एक बार और देखा था। उस बार वो ठंडे पसीने में तर-ब-तर हो
गई थी। उसने अपने तकिये के नीचे से अपना सैमसंग एस3 फ़ोन निकाला। सुबह के 4:44
बजे थे। उसे मालूम था कि अगले एक मिनट में अलार्म बज उठेगा और उस वक्त उसे अपना
एक नया रूप लेना होगा: रिवाना बनर्जी, प्रोग्रामर एनालिस्ट, टेक स्काई टेक्नोलॉजीज़।