रामकथा को अलौकिकता के दायरे से निकालकर, मानवीय क्षमताओं के स्तर पर परखने की शृंखला का नाम है ‘राम-रावण कथा’। यह इस शृंखला का यानी चौथा भाग है। अब तक आप इस पाँच खण्डों में फैली राम-रावण कथा के सभी किरदारों से वाक़िफ़ हो चुके हैं। इस भाग में राजा-राम के चरित्र के उदात्त गुणों की परीक्षा होगी और राम-खर-दूषण का टकराव होगा। राम हमारी मानवीय चेतना के चरमबिन्दु हैं, तभी वे मर्यादापुरुषोत्तम की उपाधि से विभूषित हैं।
इस भाग में पढ़ेंगे- मेघनाद का विवाह, विन्ध्य पर्वत की अत्यंत मनोरम घाटियाँ, श्री हनुमान का जीवन दृश्य, राम-लक्ष्मण व माता सीता से चन्द्रनखा का टकराव, माता सीता द्वारा चन्द्रनखा का कर्ण-नासिका का कटना, माता सीता का हरण, राम-हनुमान मिलन, हनुमान की श्रीराम के प्रति भक्ति, श्रीराम-सुग्रीव की मित्रता, बाली वध, सुग्रीव का राजतिलक, हनुमान-संपाती से मिलन, माता सीता की खोज में हनुमान व सुग्रीव के योद्धाओं का सुंदर वन में मंदोदरी वंश की हेमा से मिलन, सागर तट से रावण की लंका का दृश्य।
अगले और अंतिम भाग जिसका नाम है ‘महासंग्राम’ में इस कथा का अंत होगा और उजालों का अलौकिक आरम्भ।