[wpdm_package id=’1694′]
वे अहिन्दीभाषी जनता में भी बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि उनका हिन्दी प्रेम दूसरों की अपनी मातृभाषा के प्रति श्रद्धा और प्रेम का विरोधी नहीं, बल्कि प्रेरक था । – हजारीप्रसाद द्विवेदी दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया । उनकी साहित्य साधना अपूर्व थी । कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना कितना उपयुक्त है? मैंने उन्हें उत्तर में लिखा था कि- यदि चार ज्ञानपीठ पुरस्कार उन्हें मिलते, तो उनका उचित सम्मान होता- गद्य, पद्य, भाषणों और हिन्दी प्रचार के लिए । – हरिवंश राय ‘ बच्चन, उनकी राष्ट्रीय चेतना और व्यापक सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्वों पर बल, उनका सात्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है । – अज्ञेय
Copyright/DMCA: We DO NOT own any copyright of this PDF File. This हुंकार / Hunkar Free was either uploaded by our users or it must be readily available on various places on public domains and in fair use format. as FREE download. Use For education purposes. If you want this हुंकार / Hunkar to be removed or if it is copyright infringement then Report us by clicking Report option below Download Button or do drop us an email at [email protected] and this will be taken down within 48 hours!