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Reading: खाली घर का रहस्य (Sherlock Holmes ki Jasusi Kahaniya Online + PDF) : आर्थर कॉनन डायल
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The Gyan > Blog > जासूसी कहानी > खाली घर का रहस्य (Sherlock Holmes ki Jasusi Kahaniya Online + PDF) : आर्थर कॉनन डायल
जासूसी कहानीशेरलॉक होम्स

खाली घर का रहस्य (Sherlock Holmes ki Jasusi Kahaniya Online + PDF) : आर्थर कॉनन डायल

ज्ञानी बाबा
Last updated: 2022/11/01 at 6:00 PM
ज्ञानी बाबा Published August 13, 2022
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Khali Ghar ka Rahasya – Sherlock Holmes ki Jasusi kahani in Hindi by Arthur Conan Doyle

सन् 1894 के वसंत का समय था, परंतु सारे लंदन की फैशनपरस्त दुनिया माननीय रोनाल्ड एडेयर की असामान्य और विचित्र सी परिस्थितियों में हुई मौत से दुःखी थी और इसमें पर्याप्त रुचि भी ले रही थी। पुलिस की छानबीन में इस अपराध के जो भी ब्योरे सामने आए, जनता उनको पहले से ही जान चुकी थी। इसमें से बहुत कुछ दबाया भी जा चुका था, चूँकि अभियोजन का मुकदमा इतना मजबूत था कि सभी तथ्यों को सामने लाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। अब केवल दस सालों के बाद, मैं उन खोई हुई कडि़यों को ला रहा हूँ, जिनसे मिलकर एक बेहतरीन शृंखला बनेगी। यह अपराध अपने आप में ही रोचक था, मगर मेरे लिए यह रोचकता उस अविश्वसनीय परिणाम की तुलना में कुछ भी नहीं थी। इस घटनाचक्र ने मेरे साहसिक जीवन में मुझे एक गहरा धक्का और अचरज से भर दिया। अभी भी इतना समय बीत जाने के बाद जब से भर मैं इसके बारे में सोचता हूँ तो मुझे प्रसन्नता, आश्चर्य और अविश्वास की एक बाढ़ सी नजर आती है, जिसमें मेरा मन डूब जाता है। मुझे लोगों को यह बताना है कि जिस अद्भुत व्यक्ति के कामों और विचारों को मैंने प्रस्तुत किया है, लोगों ने उनमें रुचि दिखाई है, वे मुझे इस बात के लिए दोषी नहीं ठहराएँगे कि मैंने उनको अपनी जानकारियों में हिस्सेदार नहीं बनाया, क्योंकि यह मेरा पहला कर्तव्य था और ऐसा करने के लिए मुझे होम्स ने स्वयं ही मना किया था। अभी पिछले महीने की तीसरी तारीख को ही उन्होंने मुझे इस बंधन से आजाद किया है। 

इस चीज की कल्पना की जा सकती है कि शेरलॉक होम्स के साथ मेरी अति घनिष्ठता ने अपराध के क्षेत्र में मेरी गहरी रुचि जगा दी थी। उनकी गैर-मौजूदगी में लोगों के सामने आनेवाली कई तरह की समस्याओं को ध्यानपूर्वक समझने में मैं कभी भी असफल नहीं हुआ। यहाँ तक कि कई बार अपने खुद के संतोष और उसके समाधान के लिए मैंने उन तरीकों का इस्तेमाल भी किया; हालाँकि मैं सफलता से तटस्थ ही रहा, परंतु एडेयर की त्रासदी के अलावा उनमें से ऐसी कोई भी चीज नहीं थी, जिसने मुझे प्रभावित किया। इनकी जाँच के प्रमाण मुझे किसी ऐसे व्यक्ति या अनजाने व्यक्तियों के खिलाफ ले गए, जिन्होंने जान-बूझकर हत्या की थी। शेरलॉक होम्स की मौत से समाज को जो नुकसान हुआ था, उसे मैंने इतनी शिद्दत से महसूस किया, जितना कि पहले कभी नहीं किया था। इस विचित्र से मामले में इस तरह के बिंदु थे, जिनका मुझे यकीन था कि वे उन्हें खासतौर से लुभाते और वे पुलिस की सहायता भी कर रहे होते या जहाँ तक भी मुमकिन है, यूरोप के प्रथम प्रशिक्षित अपराध एजेंट के सजग दिमाग का पूर्वानुमान भी पाते। जब मैं सारे दिन घूम रहा था, तब मेरे दिमाग में वह केस भी चक्कर काट रहा था, परंतु मुझे इसका कोई भी उचित समाधान नहीं मिला। कहानी की पुनरावृत्ति के जोखिम से बचने के लिए मैं इसके तथ्यों को संक्षेप में ही दुहराऊँगा, क्योंकि वे लोगों को जाँच के परिणाम के रूप में पहले से ही पता हैं।

माननीय रोनाल्ड एडेयर मैनूथ के अर्ल के दूसरे बेटे थे, जो कि उस समय ऑस्ट्रेलिया के उपनिवेशों में से किसी एक के गर्वनर थे। एडेयर की माँ को ऑस्ट्रेलिया से वापस लौटना पड़ा, क्योंकि उन्हें मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराना था। वे अपने बेटे रोनाल्ड और बेटी हिल्डा के साथ 427, पार्क लेन में ही रहती थीं। ये युवा समाज के संभ्रांत लोगों के बीच उठते-बैठते थे और इनकी न तो किसी के साथ दुश्मनी थी और न ही इनमें कोई खास गंदी आदतें थीं। इनकी सगाई क्रस्टेयर्स की मिस एडिथ वुडले के साथ हुई थी, मगर कुछ ही महीने पहले उनके आपसी समझौते से यह सगाई टूट गई। इस घटना ने अपने पीछे किसी तरह के भावनात्मक चिह्न भी नहीं छोड़े थे। चूँकि इनकी आदतें और स्वभाव भावुकताविहीन थीं, इसीलिए इनका बचा हुआ जीवन संकीर्ण और रूढि़गत सामाजिकता में ही गुजरता था। ऐसा होने पर भी इस अभिजात वर्गीय आराम से जिंदगी जीनेवाले व्यक्ति की विचित्र और आकस्मिक मौत 30 मार्च, 1894 को रात दस और ग्यारह बजकर बीस मिनट के बीच हो गई।

रोनाल्ड एडेयर को ताश खेलने का शौक था, पर वह ऐसे दाँव नहीं लगाता था, जिससे उसे नुकसान हो। वह बाल्डविन, कैवेंडिश और बैग्टेल ताश क्लबों का सदस्य था। यह पता चला था कि अपनी मौत वाले दिन खाना खाने के बाद उसने अंतिम वाले क्लब में ताश भी खेला था। वहीं पर उसने दोपहर में भी ताश खेला था। इसके गवाह वही लोग थे, जिन्होंने उसके साथ ताश खेले, जैसे मि. मरे, सर जान हार्डी और कर्नल मोरान। इन्होंने बताया कि खेल बराबरी पर ही छूटा था। एडेयर अधिक नहीं, शायद पाँच ही पाउंड हारे थे। उसकी तकदीर ने उसका साथ दिया और इतने नुकसान से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। वह करीब-करीब हर रोज किसी एक या दूसरे क्लब में ताश जरूर खेलता था और अकसर जीतकर ही उठता था। सबूतों से यह भी जानकारी मिली थी कि कर्नल मोरान का पार्टनर बनकर उसने कुछ ही हफ्ते पहले एक ही बैठक में चार सौ बीस पाउंड गाडफ्रे मिलनर और लार्ड वालमोर से जीते थे। उसकी मौत के बाद की छानबीन से उसका इतना ही इतिहास पता चला।

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