खाली घर का रहस्य (Sherlock Holmes ki Jasusi Kahaniya Online + PDF) : आर्थर कॉनन डायल

Report this Book

Description

होम्स ने कहा, ‘‘मैंने अभी तक तुम्हारा इससे परिचय नहीं कराया है, यह आदमी कर्नल सेवेस्टियन मोरान है और किसी समय यह इंडियन आर्मी में था। हमारी ईस्टर्न एंपायर का यह एक बेहतरीन निशानेबाज रह चुका है। कर्नल, मैं सही कह रहा हूँ कि चीतों के शिकार में तुम्हारा कोई सानी नहीं है।’’

होम्स फिर बोले, ‘‘मेरी साधारण सी योजना ने इतने पुराने शिकारी को धोखा दे दिया। तुम्हें इसका अंदाज होना चाहिए था। क्या तुमने चीते के शिकार के लिए बछड़ा पेड़ में नहीं बाँधा है और तुमने अपनी राइफल के साथ पेड़ पर बैठकर इंतजार भी किया होगा। यह खाली मकान मेरा पेड़ है और तुम मेरे चीते। कई चीते होने की संभावना की वजह से तुमने अपने पास और भी बंदूकें रखी होंगी या तुम्हारा निशाना चूकने पर वे काम आतीं।’’

उसने दूसरी तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘ये हैं मेरी दूसरी बंदूकें, जो कि ठीक वैसी ही थीं।’’

Aa
The Gyan
The Gyan > Blog > जासूसी कहानी > खाली घर का रहस्य (Sherlock Holmes ki Jasusi Kahaniya Online + PDF) : आर्थर कॉनन डायल
जासूसी कहानीशेरलॉक होम्स
खाली घर का रहस्य (Sherlock Holmes ki Jasusi Kahaniya Online + PDF) : आर्थर कॉनन डायल
ज्ञानी बाबा
Last updated: 2022/11/01 at 5:13 PM
ज्ञानी बाबा
Published August 13, 2022
Share

Khali Ghar ka Rahasya – Sherlock Holmes ki Jasusi kahani in Hindi by Arthur Conan Doyle

सन् 1894 के वसंत का समय था, परंतु सारे लंदन की फैशनपरस्त दुनिया माननीय रोनाल्ड एडेयर की असामान्य और विचित्र सी परिस्थितियों में हुई मौत से दुःखी थी और इसमें पर्याप्त रुचि भी ले रही थी। पुलिस की छानबीन में इस अपराध के जो भी ब्योरे सामने आए, जनता उनको पहले से ही जान चुकी थी। इसमें से बहुत कुछ दबाया भी जा चुका था, चूँकि अभियोजन का मुकदमा इतना मजबूत था कि सभी तथ्यों को सामने लाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। अब केवल दस सालों के बाद, मैं उन खोई हुई कडि़यों को ला रहा हूँ, जिनसे मिलकर एक बेहतरीन शृंखला बनेगी। यह अपराध अपने आप में ही रोचक था, मगर मेरे लिए यह रोचकता उस अविश्वसनीय परिणाम की तुलना में कुछ भी नहीं थी। इस घटनाचक्र ने मेरे साहसिक जीवन में मुझे एक गहरा धक्का और अचरज से भर दिया। अभी भी इतना समय बीत जाने के बाद जब से भर मैं इसके बारे में सोचता हूँ तो मुझे प्रसन्नता, आश्चर्य और अविश्वास की एक बाढ़ सी नजर आती है, जिसमें मेरा मन डूब जाता है। मुझे लोगों को यह बताना है कि जिस अद्भुत व्यक्ति के कामों और विचारों को मैंने प्रस्तुत किया है, लोगों ने उनमें रुचि दिखाई है, वे मुझे इस बात के लिए दोषी नहीं ठहराएँगे कि मैंने उनको अपनी जानकारियों में हिस्सेदार नहीं बनाया, क्योंकि यह मेरा पहला कर्तव्य था और ऐसा करने के लिए मुझे होम्स ने स्वयं ही मना किया था। अभी पिछले महीने की तीसरी तारीख को ही उन्होंने मुझे इस बंधन से आजाद किया है।

इस चीज की कल्पना की जा सकती है कि शेरलॉक होम्स के साथ मेरी अति घनिष्ठता ने अपराध के क्षेत्र में मेरी गहरी रुचि जगा दी थी। उनकी गैर-मौजूदगी में लोगों के सामने आनेवाली कई तरह की समस्याओं को ध्यानपूर्वक समझने में मैं कभी भी असफल नहीं हुआ। यहाँ तक कि कई बार अपने खुद के संतोष और उसके समाधान के लिए मैंने उन तरीकों का इस्तेमाल भी किया; हालाँकि मैं सफलता से तटस्थ ही रहा, परंतु एडेयर की त्रासदी के अलावा उनमें से ऐसी कोई भी चीज नहीं थी, जिसने मुझे प्रभावित किया। इनकी जाँच के प्रमाण मुझे किसी ऐसे व्यक्ति या अनजाने व्यक्तियों के खिलाफ ले गए, जिन्होंने जान-बूझकर हत्या की थी। शेरलॉक होम्स की मौत से समाज को जो नुकसान हुआ था, उसे मैंने इतनी शिद्दत से महसूस किया, जितना कि पहले कभी नहीं किया था। इस विचित्र से मामले में इस तरह के बिंदु थे, जिनका मुझे यकीन था कि वे उन्हें खासतौर से लुभाते और वे पुलिस की सहायता भी कर रहे होते या जहाँ तक भी मुमकिन है, यूरोप के प्रथम प्रशिक्षित अपराध एजेंट के सजग दिमाग का पूर्वानुमान भी पाते। जब मैं सारे दिन घूम रहा था, तब मेरे दिमाग में वह केस भी चक्कर काट रहा था, परंतु मुझे इसका कोई भी उचित समाधान नहीं मिला। कहानी की पुनरावृत्ति के जोखिम से बचने के लिए मैं इसके तथ्यों को संक्षेप में ही दुहराऊँगा, क्योंकि वे लोगों को जाँच के परिणाम के रूप में पहले से ही पता हैं।

माननीय रोनाल्ड एडेयर मैनूथ के अर्ल के दूसरे बेटे थे, जो कि उस समय ऑस्ट्रेलिया के उपनिवेशों में से किसी एक के गर्वनर थे। एडेयर की माँ को ऑस्ट्रेलिया से वापस लौटना पड़ा, क्योंकि उन्हें मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराना था। वे अपने बेटे रोनाल्ड और बेटी हिल्डा के साथ 427, पार्क लेन में ही रहती थीं। ये युवा समाज के संभ्रांत लोगों के बीच उठते-बैठते थे और इनकी न तो किसी के साथ दुश्मनी थी और न ही इनमें कोई खास गंदी आदतें थीं। इनकी सगाई क्रस्टेयर्स की मिस एडिथ वुडले के साथ हुई थी, मगर कुछ ही महीने पहले उनके आपसी समझौते से यह सगाई टूट गई। इस घटना ने अपने पीछे किसी तरह के भावनात्मक चिह्न भी नहीं छोड़े थे। चूँकि इनकी आदतें और स्वभाव भावुकताविहीन थीं, इसीलिए इनका बचा हुआ जीवन संकीर्ण और रूढि़गत सामाजिकता में ही गुजरता था। ऐसा होने पर भी इस अभिजात वर्गीय आराम से जिंदगी जीनेवाले व्यक्ति की विचित्र और आकस्मिक मौत 30 मार्च, 1894 को रात दस और ग्यारह बजकर बीस मिनट के बीच हो गई।

रोनाल्ड एडेयर को ताश खेलने का शौक था, पर वह ऐसे दाँव नहीं लगाता था, जिससे उसे नुकसान हो। वह बाल्डविन, कैवेंडिश और बैग्टेल ताश क्लबों का सदस्य था। यह पता चला था कि अपनी मौत वाले दिन खाना खाने के बाद उसने अंतिम वाले क्लब में ताश भी खेला था। वहीं पर उसने दोपहर में भी ताश खेला था। इसके गवाह वही लोग थे, जिन्होंने उसके साथ ताश खेले, जैसे मि. मरे, सर जान हार्डी और कर्नल मोरान। इन्होंने बताया कि खेल बराबरी पर ही छूटा था। एडेयर अधिक नहीं, शायद पाँच ही पाउंड हारे थे। उसकी तकदीर ने उसका साथ दिया और इतने नुकसान से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। वह करीब-करीब हर रोज किसी एक या दूसरे क्लब में ताश जरूर खेलता था और अकसर जीतकर ही उठता था। सबूतों से यह भी जानकारी मिली थी कि कर्नल मोरान का पार्टनर बनकर उसने कुछ ही हफ्ते पहले एक ही बैठक में चार सौ बीस पाउंड गाडफ्रे मिलनर और लार्ड वालमोर से जीते थे। उसकी मौत के बाद की छानबीन से उसका इतना ही इतिहास पता चला।

जिस दिन यह हत्या हुई, उस दिन वह क्लब से रात को दस बजे ही लौट आया था। उसकी माँ और बहन उस शाम किसी संबंधी के घर गई हुई थीं। वहाँ मौजूद नौकरानी ने बताया कि उसने एडेयर को दूसरी मंजिल पर सामने वाले कमरे में घुसते हुए देखा, जिसको सामान्यतया वह अपने बैठक-कक्ष के रूप में ही इस्तेमाल करता था। उस नौकरानी ने आतिशदान के जलाए जाने की आवाज भी सुनी और धुआँ होने पर उसने खिड़की खोल दी। ग्यारह बजकर बीस मिनट तक, जब तक कि मैडम मैनूथ और उनकी बेटी वापस नहीं आ गईं, उसने कोई भी आवाज नहीं सुनी थी। ‘शुभ रात्रि’ कहने की चाहत से उसने उनके बेटे के कमरे में घुसने की कोशिश की, पर कमरे का दरवाजा भीतर से बंद था और उसके आवाज देने और थपथपाने पर भी भीतर से कोई जवाब नहीं आया। दूसरों की सहायता लेकर दरवाजा जबरदस्ती खोला गया। वह बेचारा युवक टेबल के पास पड़ा हुआ था, रिवॉल्वर की गोली से उसके सिर के चिथड़े उड़ गए थे, परंतु कमरे में किसी तरह का हथियार नहीं मिला। टेबल पर दस पाउंड और सत्रह पाउंड के सोने व चाँदी की कीमत वाले बैंक नोट पड़े हुए थे और यह सारा धन छोटी-छोटी गड्डियों में था। वहाँ कागज पर भी कुछ अंक लिखे थे और उनके सामने उसके क्लब के कुछ मित्रों के नाम भी थे। इन सबसे यह अनुमान लगाया जा सकता था कि अपनी मौत से पहले वह ताश के खेल में हुई अपनी हार या जीत का हिसाब लगा रहा था।

परिस्थितियों को देखने के बाद यह मामला कुछ अधिक ही जटिल लगता था। सबसे पहले तो इस बात का कोई कारण नहीं मिला कि इस युवक ने कमरा अंदर से बंद क्यों कर रखा था। यह भी मुमकिन था कि शायद हत्यारे ने ही ऐसा किया हो और फिर खिड़की से भाग गया हो। कूदने के लिए यह ऊँचाई करीब बीस फीट की थी और नीचे केसर की क्यारियों के मसले जाने तथा घर से सड़क तक की घास की पतली पट्टी पर भी कोई चिह्न नहीं थे। इसका मतलब यह था कि इस युवक ने खुद ही दरवाजा भीतर से बंद किया था। मगर उसकी मौत कैसे हुई? बिना कोई निशान छोड़े कोई भी खिड़की तक नहीं पहुँच सकता था। मान लें किसी आदमी ने खिड़की से गोली चलाई, तब वह गोली असाधारण ढंग से चली होगी, तभी इसने इतनी घातक चोट की। हालाँकि पार्क लेन एक बहुत ही चहल-पहल वाली जगह है और इस मकान से सौ गज की ही दूरी पर घोड़ागाड़ी का एक स्टैंड भी है। किसी ने भी गोली चलने की आवाज नहीं सुनी। फिर भी एक आदमी तो मरा ही था और रिवॉल्वर से एक गोली भी निकली थी। यह गोली इतनी नुकीली और घातक थी कि इससे कोई भी तुरंत ही मर सकता था। यही था पार्क लेन का रहस्य, जिसमें किसी भी कारण का अभाव नजर आ रहा था, क्योंकि जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ, युवक एडेयर की किसी से भी दुश्मनी नहीं थी और इस कमरे से धन और कीमती चीजें हटाने की भी कोशिश नहीं की गई थी। सारे दिन मैं इन्हीं तथ्यों को अपने दिमाग में उलटता-पलटता रहा और किसी ऐसे विचार पर पहुँचने का प्रयास करता रहा, जो कि उन्हें आपस में मिला सके।

साथ-ही-साथ मैं कम-से-कम रुकावटवाली दिशा भी ढूँढ़ता रहा, जिसे मेरा साथी प्रत्येक छानबीन का शुरुआती बिंदु बताता था। मैं यह मानता हूँ कि मैंने इस मामले में बहुत ही कम प्रगति की है। शाम को छह बजे मैं टहलता हुआ पार्क लेन के आखिर में ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट तक आ पहुँचा। वहीं फुटपाथ पर कुछ निठल्ले लोग खड़े थे और मुझे वह मकान दिखाकर उस खिड़की की ओर इशारा कर रहे थे। यह वही मकान था, जिसे मैं देखने पहले भी आ चुका था। एक लंबा पतला सा आदमी, जिसने रंगीन चश्मा लगा रखा था, मेरे अनुमान से वह सादे कपड़ों में कोई जासूस ही था और अपनी ही कोई कहानी सुना रहा था। वह जो कुछ भी कह रहा था, वहाँ खड़ी भीड़ उसे सुन रही थी। मैंने उसके पास पहुँचकर उसे सुना, पर उसका आकलन मुझे बिलकुल बेहूदा लगा। इसीलिए मैं कुछ निराश होकर वापस मुड़ा। जैसे ही मैं वापस मुड़ा, में ठीक मेरे पीछे खड़े एक बुजुर्ग विकलांग आदमी से टकरा गया और उसकी कई किताबें जमीन पर बिखर गईं, जिन्हें लेकर वह कहीं जा रहा था। मुझे याद है कि जब मैं उन किताबों को उठा रहा था, तभी मैंने उनमें से एक का शीर्षक देखा, ‘वृक्ष पूजन का मूल’, और इसने मुझे थोड़ा सा अचंभित किया कि या तो यह बेचारा पुस्तकप्रेमी है या व्यापारी या शायद शौकिया ही ऐसी दुर्बोध पुस्तकें इकट्ठा कर रहा है। मैंने इस दुर्घटना के लिए उससे माफी माँगी, पर ऐसा लग रहा था कि जिन किताबों के साथ मैंने दुर्व्यवहार किया था, वे उसके लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण थीं। गुस्से में गुर्राता हुआ वह दूसरी ओर मुड़ गया और मैंने देखा कि उसकी सफेद गलमुच्छें लोगों की भीड़ में कहीं खो गईं।

427, पार्क लेन की मेरी छानबीन, जिसमें कि मेरी भी रुचि थी, ने अब मेरी समस्या को थोड़ा स्पष्ट कर दिया था। इस मकान के चारों ओर एक दीवार और रेलिंग थी, इसकी ऊँचाई पाँच फीट से अधिक नहीं थी। किसी भी आदमी के लिए इसे फाँदकर बगीचे में जाना कोई मुश्किल नहीं था, पर खिड़की तक पहुँचना आसान नहीं था, क्योंकि वहाँ पानी का पाईप तक नहीं था, जिससे कि किसी बहुत तेज आदमी को चढ़ने में सहायता मिल सकती। सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो तब हुई जब मैं वापस केनसिंग्टन पहुँचा। मुझे अपने अध्ययन-कक्ष में पहुँचे अभी पाँच मिनट भी नहीं बीते थे कि मेरी नौकरानी यह बताने के लिए आई कि कोई आदमी मुझसे मिलने आया है। तब मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि वह और कोई नहीं, बल्कि वही बूढ़ा है, जो किताबें इकट्ठी कर रहा था और उसके दाहिने हाथ में कम-से-कम एक दर्जन किताबें थीं।

उसने अपनी टूटती हुई, अपरिचित आवाज में पूछा, ‘‘आप मुझे देखकर चकित हैं, सर!’’

मैंने स्वीकार कर लिया कि मैं वाकई चकित हूँ।

‘‘मेरे पास भी दिमाग है और जब मैंने आपको इस घर में घुसते हुए देखा, तब मैं आपके पीछे लँगड़ाता हुआ आ गया। मैंने सोचा कि मैं अंदर आ जाऊँ और उस भले आदमी को देखूँ और बताऊँ कि यदि मेरा व्यवहार थोड़ा रूखा था, तब भी मेरा आशय आपको नुकसान पहुँचाने का नहीं था, और आपने जो किताबें उठाकर मुझे दी थीं, मैं उसके लिए आपका एहसानमंद हूँ।’’

मैंने कहा, ‘‘आपने बहुत तकलीफ उठाई, क्या मैं जान सकता हूँ कि आपको कैसे पता चला कि मैं कौन हूँ?’’

‘‘जी हाँ, सर! मैं आपका ही पड़ोसी हूँ। चर्च स्ट्रीट के कोने पर मेरी किताबों की एक छोटी सी दुकान है और मुझे यकीन है कि आपको वहाँ देखकर मुझे बहुत ही खुशी होगी। आपको वहाँ बड़ा सुकून मिलेगा, सर। यहाँ मेरे पास कुछ किताबें हैं, जैसे ब्रिटिश बर्ड्स, द होली वार, कैटल्स। आप इन्हें रख सकते हैं, केवल पाँच खंडों में ही आपकी आलमारी का दूसरा खाना भर जाएगा। पर यह बहुत ही अस्त-व्यस्त है, क्यों है न?’’

मैंने अपना सिर पीछे की ओर घुमाया और आलमारी की ओर देखा। जैसे ही मैं वापस मुड़ा, मैंने देखा कि शेरलॉक होम्स मेरी पढ़नेवाली टेबल के बगल में खड़े होकर मुसकरा रहा था। मैं तुरंत ही खड़ा हो गया और आश्चर्य से उनकी तरफ कुछ सेकेंड तक देखता ही रहा और मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाऊँगा। ऐसा अनुभव मुझे जीवन में पहली और आखिरी बार हुआ था। वाकई मेरी आँखों के सामने धुँधलका सा छा गया और जब यह साफ हुआ, तब मैंने महसूस किया कि मेरे कॉलर के बटन खोले जा चुके थे और ब्रांडी के बादवाला तीखा स्वाद मेरे होंठों पर पड़ा हुआ था। होम्स मेरी कुरसी पर झुका हुआ था और उनके हाथ में उनका मुखौटा॒था।

जो आवाज मुझे अच्छी तरह से याद थी, उसी आवाज में उन्होंने कहा, ‘‘प्रिय वाटसन! मैं तुमसे हजार बार माफी माँगता हूँ, मुझे इस बात का अंदाज नहीं था कि तुम पर इतना अधिक असर होगा।’’

मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया। मैं रो पड़ा। ‘‘होम्स, क्या वाकई आप हैं? क्या आप सचमुच जिंदा हैं? क्या यह वाकई मुमकिन था कि आप उस भयानक खाई से बाहर निकल आए?’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक मिनट रुको। क्या तुम इन बातों को सुन सकते की हालत में हो? मैंने तुम्हें अचानक प्रकट होकर बड़ा धक्का पहुँचाया है।’’

‘‘मैं बिलकुल ठीक हूँ, पर होम्स! मुझे अपनी आँखों पर मुश्किल से ही विश्वास हो रहा है। हे भगवान्! मैं सोच नहीं पा रहा हूँ कि आप मेरे कमरे में खड़े हैं।’’

मैंने उनकी बाँह को कसकर पकड़ा और अपने हाथ के नीचे उनकी पतली पर हट्टी-कट्टी बाँह को महसूस किया।

मैंने कहा, ‘‘तुम कोई रूह नहीं हो और मैं तुम्हें देखकर बहुत ही खुश हूँ। बैठ जाओ और मुझे बताओ कि तुम उस भयानक खाई से कैसे बाहर निकले?’’

वे ठीक मेरे सामने बैठ गए और अपने उसी पुराने आराम-आराम वाले तरीके से सिगरेट सुलगाई। उसने किताबों के दुकानदार की तरह ही फ्रॉकवाला कोट पहन रखा था, पर उनके बाल सफेद थे और मेज पर पुरानी किताबों का ढेर लगा हुआ था। होम्स एक बूढ़े से कहीं अधिक सजग और पतला दिख रहा था, पर उसकी गरुड़ सरीखी आकृति पर एक सफेदी सी झलक रही थी, जिससे पता चलता था कि उसका हाल का जीवन स्वस्थ नहीं था।

होम्स ने कहा, ‘‘वाटसन! मुझे अपने आपको सीधा करने में बहुत मजा आ रहा है। एक लंबे आदमी के लिए अपने शरीर को घंटों तक झुकाए रखना कोई मजाक बात नहीं है। हाँ तो मेरे प्यारे दोस्त, अपने इस सारे किस्से के साथ क्या अब मैं अपने सामने आनेवाली एक कठिन व खतरनाक रात के काम के लिए तुम्हारा सहयोग प्राप्त कर सकता हूँ? उस काम को पूरा करने के लिए शायद यह अच्छा होगा कि मैं तुम्हें सारी स्थिति से परिचित करा दूँ।’’

‘‘मैं बहुत ही उत्सुक हूँ और इसे तुरंत सुनना भी पसंद करूँगा।’’

‘‘आज रात तुम मेरे साथ चलोगे?’’

‘‘तुम जब भी चाहो और जहाँ भी चाहो।’’

‘‘यह तो वाकई उन पुराने दिनों की ही तरह है। चलने से पहले हमारे पास भरपेट खाना खाने का समय है। और उस खाईवाले झरने से मुझे बाहर निकलने में कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि इसका कारण बहुत ही सीधा है, मैं इसमें गिरा ही नहीं था।’’

‘‘आप इसमें गिरे ही नहीं?’’

‘‘नहीं, वाटसन! मैं इसमें कभी गिरा ही नहीं था। मैंने तुमको जो नोट लिखा था, वह बिलकुल सच था। मुझे इस बात का शक हो गया था कि मैं अपने पेशे की समाप्ति पर पहुँच चुका हूँ, तभी मैंने उस बद्शक्ल स्वर्गीय प्रोफेसर मोरिआर्टी की आकृति देखी, जो कि उस सँकरे रास्ते पर खड़ी थी और यह रास्ता सीधा सुरक्षा की तरफ जाता है। मैंने उसकी स्लेटी आँखों में एक दृढ़ उद्देश्य देखा। मैंने उसके साथ कुछ बातचीत भी की और उसकी सहज अनुमति से एक आदेश भी लिखा, जो कि बाद में तुमको मिला, जिसे मैंने अपनी सिगरेट की डिब्बी और छड़ी के साथ छोड़ दिया था। मैं फिर सँकरे रास्ते पर चल दिया, मोरिआर्टी अभी भी मेरे पीछे आ रहा था और जब मैं अंतिम छोर पर पहुँचा तो देखा कि मैं एक घाटी पर खड़ा हूँ। उसने कोई हथियार नहीं निकाला, पर वह मेरी तरफ दौड़ा और मुझे अपनी लंबी बाँहों में जकड़ लिया। वह जानता था कि उसका खेल खत्म हो चुका था और वह केवल मुझसे बदला लेना चाहता था। हम ऊपर झरने के किनारे एक साथ गुँथे हुए लड़खड़ा रहे थे। मुझे जापानी कुश्ती की कुछ जानकारी है, जो कि कई बार मेरे काम भी आ चुकी है। मैं किसी तरह उसकी पकड़ से बाहर आ चुका था, पर वह एक तेज चीख के साथ मुझ पर पागलों की तरह कुछ देर तक ठोकर मारता रहा और हवा में अपने पंजे लहराता रहा। उसके इन सारे प्रयासों के दौरान वह अपना संतुलन न बना सका और नीचे खाई में गिर गया। ऊपर किनारे से मैंने देखा कि वह काफी नीचे तक गिरता चला गया और फिर एक चट्टान से टकराया, उछला और नीचे गहरे पानी में गिर गया।’’

मैंने इस कहानी को आश्चर्य के साथ सुना, जो कि होम्स ने अपनी सिगरेट के कश लेते हुए मुझे सुनाई।

मैं जोर से चीखा, ‘‘पर वे पैरों के निशान, जिन्हें मैंने अपनी आँखों से देखा था, जो कि रास्ते पर सिर्फ जाने के ही थे, वे वापस नहीं लौटे।’’

Pages: 1 2 3 4 5 6

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *