यार पापा । Yaar Papa Hindi Book PDF Download

तीन लोगों के बीच में चाय के छह कप रखे थे। तीन खाली कप बीते हुए समय के लिए और तीन भरे हुए आने वाले समय के लिए। अगले दिन लॉ के फ़ाइनल ईयर का आखिरी पेपर होने वाला था। तीन साल का साथ छूटने वाला था। मीता ने अपने बैग से तीनों की साथ वाली तस्वीर बाक़ी दोनों की तरफ़ बढ़ाई। "क्या बे मीता, अब तू रुलाएगी क्या!" मनोज ने कहा। "हाँ, इतना सेंटी क्यों कर रही है!" गजेंद्र ने कहा। "कॉलेज ही तो ख़त्म हो रहा है, हम अलग थोड़े हो रहे हैं।" मनोज ने हाथ आगे बढ़ाया। Akhil मीता की आँखों में आँसू थे। वह मनोज और गजेंद्र के सामने पहली बार रो रही थी। तीनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। "सालो, मिलते रहना बे!" मीता ने
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4.6/5 Votes: 265
Author
Divya Prakash Dubey
Size
63 MB
Pages
220
Language
Hindi

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Name यार पापा । Yaar Papa Hindi Book PDF Download
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Category Novels
Language Hindi
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हारे हुए केस जीतना मनोज साल्वे की आदत ही नहीं शौक़ भी था। जब वह कोर्ट में दलील देने के लिए उठता तो जज भी अपनी कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठता। देश की लगभग सभी मैगज़ीन के कवर पर उसकी फ़ोटो आ चुकी थी। देश के सौ सबसे धारदार व्यक्तियों की सूची में उसका नाम पिछले दस साल से हिला नहीं था। देश का बड़े-से-बड़ा अभिनेता, नेता और बिज़नेसमैन सभी मनोज साल्वे के या तो दोस्त थे या होना चाहते थे। मनोज के बारे में कहा जाता था कि पिछले कुछ सालों में कोई भी उससे बड़ा वकील नहीं हुआ। ऐसे में जब लग रहा था कि मनोज के साथ कुछ ग़लत नहीं हो सकता है, ख़बर आती है कि मनोज की लॉ की डिग्री फ़ेक है। इस ख़बर को वह झुठला नहीं पाता। वो आदमी जो हर केस जीत सकता था, वह अपनी बेटी की नज़र में क्यों सबसे बुरा इंसान था? ऐसा क्या था कि उसकी बेटी साशा उससे बात नहीं कर रही थी? क्या मनोज अपनी पर्सनल लाइफ़, अपने करियर को फिर से पटरी पर ला पाएगा?

 

Summary of book यार पापा । Yaar Papa Hindi Book PDF Download


तीन लोगों के बीच में चाय के छह कप रखे थे। तीन खाली कप बीते हुए समय के लिए और तीन भरे हुए आने वाले समय के लिए। अगले दिन लॉ के फ़ाइनल ईयर का आखिरी पेपर होने वाला था। तीन साल का साथ छूटने वाला था। मीता ने अपने बैग से तीनों की साथ वाली तस्वीर बाक़ी दोनों की तरफ़ बढ़ाई। “क्या बे मीता, अब तू रुलाएगी क्या!” मनोज ने कहा। “हाँ, इतना सेंटी क्यों कर रही है!” गजेंद्र ने कहा। “कॉलेज ही तो ख़त्म हो रहा है, हम अलग थोड़े हो रहे हैं।” मनोज ने हाथ आगे बढ़ाया। Akhil मीता की आँखों में आँसू थे। वह मनोज और गजेंद्र के सामने पहली बार रो रही थी। तीनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। “सालो, मिलते रहना बे!” मीता ने कहा। इन तीनों की क्लास का एक लड़का दूर से भागता हुआ आया और चिल्लाया, “मनोज तेरे घर से फ़ोन आया था, जल्दी जा कुछ इमरजेंसी है!” तीनों हड़बड़ाकर उठे और आने वाले समय के लिए रखे तीन कप लुढ़क गए। ये तीन वो थे जिनकी दोस्ती की मिसाल पुणे लॉ कॉलेज में दी जाती थी

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