ग्रामोफोन पिन का रहस्य – ब्योमकेश बक्शी की जासूसी कहानी

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Author
Saradindu Bandyopadhyay
Language
Hindi

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Description

 ब्योमकेश ने सुबह का अखबार अच्छे से तह करके एक ओर रख दिया। उसके बाद अपनी कुरसी पर पीछे सिर टिकाकर खिड़की के बाहर देखने लगा। 

बाहर सूरज चमक रहा था। फरवरी की सुबह थी। न कोहरा, न बादल, आसमान दूर-दूर तक नीला था। हम लोग घर की दूसरी मंजिल में रहते थे। ड्राइंग-रूम की खिड़की से शहर की आपा-धापी और ऊपर खुला आसमान साफ दिखाई देता था। नीचे तरह-तरह के ट्रैफिक की आवाजों से पता चलता था कि शहर रोजाना के शोर-शराबे के लिए जाग रहा है। नीचे हैरीसन रोड का शोरगुल बढ़कर आकाश तक कुलाँचे मारने लग गया था, क्योंकि पक्षियों की चहचहाट आसमान में उड़ने लगी थी। ऊपर दूर तक कबूतरों की कतारें उड़ती दिखाई दीं, लगा, जैसे वे सूरज के इर्द-गिर्द घेरा बनाना चाह रहे हों। सुबह के आठ बजे थे। हम दोनों नाश्ता करके आराम से अखबार के पन्ने उलट रहे थे, इस आस में कि कोई दिलचस्प समाचार दिखाई दे जाए।

ब्योमकेश ने खिड़की से हटने के बाद कहा, ‘‘तुमने वह अजीब विज्ञापन देखा, जो कुछ दिनों से बराबर छप रहा है?’’

मैंने उत्तर दिया, ‘‘नहीं, मैं विज्ञापन नहीं पढ़ता।’’

आश्चर्य से देखते हुए ब्योमकेश बोला, ‘‘तुम विज्ञापन नहीं पढ़ते? तो क्या पढ़ते हो?’’

‘‘जो हरेक व्यक्ति पढ़ता है, समाचार!’’

‘‘दूसरे शब्दों में वो कहानियाँ जैसे मंचूरिया में कोई व्यक्ति है, जिसकी उँगली से खून बहता है या फिर ब्राजील में एक महिला के तीन बच्चे हुए—यही सब पढ़ते हो! क्या फायदा यह पढ़कर? क्यों पढ़ा जाए यह सब? यदि तुम आज के संदर्भ में असली खबर चाहते हो तो विज्ञापन पढ़ो।’’

ब्योमकेश विचित्र व्यक्ति था। यह जल्दी ही पता लग जाएगा। ऊपर से उसे देखकर, उसके चेहरे या बातचीत से कोई यह कह नहीं सकेगा कि उसमें अनेक विशेष गुणों का समावेश है, लेकिन यदि उसे ताना मारो या उसे तर्क में उद्वेलित कर दो तो उसका यह वास्तविक रूप सामने आ जाता है। लेकिन आमतौर पर वह एक गंभीर और कम बोलनेवाला व्यक्ति है। लेकिन जब कभी उसकी खिल्ली उड़ाकर उसका मजाक बनाया जाता है तो उसकी जन्मजात प्रखर बुद्धि सभी संभावनाओं और अवरोधों को तोड़कर उसकी जुबान पर खेलने लग जाती है, तब उसका वार्त्तालाप सुनने लायक हो जाता है।

मैं यही लोभ सँवरण नहीं कर पाया और सोचा कि क्यों न उसे एक बार उद्वेलित करके देखा जाए? मैंने कहा, ‘‘तो यह बात है? इसका मतलब यह हुआ कि अखबारवाले सब बदमाश लोग हैं, जो अखबार के पन्नों को विज्ञापनों से भरने की जगह फिजूल की खबरें छापकर जगह भर देते हैं?’’

ब्योमकेश की आँखों में एक चमक दिखाई देने लगी। वह बोला, ‘‘कसूर उनका नहीं है, क्योंकि वे जानते हैं कि यदि वे तुम्हारे जैसे व्यक्तियों के मनोरंजन के लिए ये फिजूल की कहानियाँ न छापें तो उनका अखबार नहीं बिकेगा। लेकिन वास्तव में चटपटी खबर व्यक्तिगत कॉलमों में मिलती है। यदि तुम सभी प्रकार की महत्त्वपूर्ण खबरें चाहते हो, जैसे कि तुम्हारे इर्द-गिर्द क्या हो रहा है; दिनदहाड़े कौन किसे लूटने की साजिश कर रहा है; स्मगलिंग जैसे गैर-कानूनी काम को बढ़ाने के लिए क्या नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, तो तुम्हें व्यक्तिगत कॉलम के विज्ञापन पढ़ने चाहिए। ‘रायटर्स’ ये सब खबरें नहीं भेजता।’’ मैंने हँसकर जवाब दिया, ‘‘अगर ऐसा है तो आज ही से केवल विज्ञापन ही पढ़ा करूँगा। पर तुमने यह नहीं बताया आज तुम्हें कौन सा विज्ञापन विचित्र लगा?’’

ब्योमकेश ने अखबार मेरी तरफ फेंकते हुए कहा, ‘‘पढ़ लो, मैंने निशान लगा दिया है।’’

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